दतिया | कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि से सिंधी समाज की ऐतिहासिक और पारंपरिक रामधुन यात्रा की शुरुआत हो गई है। यह यात्रा केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि 1947 के विभाजन के बाद सिंध से विस्थापित परिवारों की संस्कृति और एकता का प्रतीक मानी जाती है।
साल 1950 से जारी यह परंपरा आज भी उसी श्रद्धा और उत्साह से निभाई जा रही है। यात्रा की शुरुआत ज्योति मंदिर से हुई, जो बड़ी माता मंदिर होते हुए ठाकुर श्री बड़े गोविंद मंदिर तक पहुंची।
तीन घंटे तक चली इस यात्रा में सैकड़ों श्रद्धालु पारंपरिक परिधानों में शामिल हुए। पूरे मार्ग में “श्रीराम जय राम जय जय राम” के जयकारों से वातावरण भक्तिमय बना रहा।
विभाजन के बाद शुरू हुई परंपरा
समाज के मुखी जगदीश रतनाणी ने बताया कि भारत-पाक विभाजन के बाद जब सिंधी परिवार दतिया में आकर बसे, तो अपनी परंपराओं को जीवित रखने के लिए इस यात्रा की शुरुआत की गई थी।
हर वर्ष कार्तिक माह में निकाली जाने वाली यह यात्रा गुरुनानक देव जयंती के दिन संपन्न होती है। इस बार यह यात्रा 13 दिनों तक चलेगी और शहर के विभिन्न मार्गों व मंदिरों से होकर गुजरेगी।
यात्रा के प्रमुख पड़ावों में संत हजारीराम मंदिर, झूलेलाल दरबार, और गुरुद्वारा जैसे धार्मिक स्थल शामिल रहेंगे।
5 नवंबर को होगा समापन
यात्रा का समापन 5 नवंबर को श्री गुरुनानक देव जी के 556वें प्रकाश पर्व पर किया जाएगा। इस दिन ज्योति मंदिर से प्रभात फेरी निकलेगी, जो दांतरे की नरिया से होती हुई गुरुद्वारे तक पहुंचेगी।
इस बीच, समाज ने गुरुवार को चंड्र उत्सव भी धूमधाम से मनाया। ज्योति मंदिर परिसर में सुबह सत्संग और शाम को प्रसादी वितरण किया गया।
आगामी दिनों में 27 अक्टूबर से सिंधी समाज के नवरात्र और 30 अक्टूबर से पाठ साहिब का आयोजन प्रारंभ होगा।
( रिपोर्टर पलक श्रीवास ) Bundelivarta.com



