टीकमगढ़: अवैध अफीम की खेती के मामले में कांग्रेस की प्रदेश महासचिव किरण अहिरवार ने पुलिस प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री और पुलिस महानिदेशक को पत्र लिखकर पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच कराने की मांग की है। अहिरवार का आरोप है कि पुलिस ने सच्चाई को छिपाने की कोशिश की और वास्तविक आंकड़ों से छेड़छाड़ की है।
छापेमारी में गड़बड़ी का आरोप
जतारा थाना क्षेत्र के ग्राम पंचायत मुहारा में 3 मार्च को पुलिस ने एक खेत में छापेमारी कर भारी मात्रा में अवैध अफीम जब्त करने का दावा किया था। लेकिन कांग्रेस नेता का आरोप है कि पुलिस ने 10 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य की अफीम को सिर्फ 2 करोड़ रुपये की बताकर मामले को हल्का कर दिया। इसके अलावा, उन्होंने दावा किया कि अफीम की खेती 5 बीघा जमीन पर की गई थी, लेकिन पुलिस ने इसे केवल 3 बीघा ही बताया।
बड़े अपराधियों को बचाने का आरोप
किरण अहिरवार ने सवाल उठाया कि इतनी बड़ी मात्रा में अवैध अफीम की खेती बिना राजनीतिक संरक्षण के संभव नहीं है। उनका आरोप है कि पुलिस ने असली गुनहगारों को बचाने के लिए गरीब किसानों और बंटाईदारों को फंसा दिया है। उन्होंने कहा कि यह मामला केवल किसानों का नहीं, बल्कि एक संगठित रैकेट से जुड़ा हुआ है, जिसमें ऊंचे स्तर तक सांठगांठ हो सकती है।
पुलिस की भूमिका पर उठे सवाल
कांग्रेस महासचिव ने यह भी आरोप लगाया कि पुलिस ने इस मामले को उजागर करने में जानबूझकर देरी की। उन्होंने कहा कि अगर प्रशासन को पहले से सूचना थी, तो कार्रवाई में इतना समय क्यों लगा? अहिरवार का कहना है कि पुलिस ने बड़े लोगों पर कार्रवाई करने की बजाय गरीबों को ही निशाना बनाया, ताकि दिखावे के लिए कार्रवाई की जा सके और असली अपराधियों को बचाया जा सके।
मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग
किरण अहिरवार ने मुख्यमंत्री और पुलिस महानिदेशक को पत्र लिखकर इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कराने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यदि इस मामले की गहराई से जांच की जाए, तो कई चौंकाने वाले खुलासे हो सकते हैं। कांग्रेस नेता ने मांग की है कि इस प्रकरण में शामिल बड़े लोगों की पहचान कर उनके खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की जाए, ताकि सच सामने आ सके।
अफीम की खेती पर प्रशासन का क्या है रुख?
इस मामले को लेकर अब तक पुलिस प्रशासन की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। लेकिन कांग्रेस नेता के आरोपों के बाद जिले में सियासत गरमा गई है। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या सरकार इस मामले की उच्च स्तरीय जांच कराएगी या फिर पुलिस के दावों पर ही भरोसा किया जाएगा।