झांसी: एक तरफ जहां मां-बाप अपनी औलाद के लिए सब कुछ न्योछावर कर देते हैं, वहीं दूसरी तरफ कुछ औलाद ऐसी भी होती है जो अपने मां-बाप को बेघर करने में भी नहीं हिचकिचाते। ऐसा ही एक मामला झांसी में सामने आया है, जहां बेटों ने अपने मां-बाप को मारपीट कर घर से निकाल दिया और पुलिस भी उनकी मदद करने में नाकाम साबित हो रही है।
20 दिन से दर-दर की ठोकरें खा रहे दंपति
कामता प्रसाद और उनकी पत्नी लक्ष्मी आज डीएम ऑफिस पहुंचे और अपनी आपबीती सुनाई। उन्होंने बताया कि उनके बेटे और बहू उन्हें पुश्तैनी घर में नहीं रहने दे रहे हैं। 20 दिन पहले दोनों बेटों ने उन्हें बुरी तरह पीटा और घर से भगा दिया। इसके बाद से वह स्टेशन और सड़क किनारे रातें गुजार रहे हैं।
पुलिस की बेरुखी
कामता प्रसाद और लक्ष्मी ने बताया कि उन्होंने पुलिस में भी शिकायत दर्ज कराई, लेकिन पुलिस ने उनकी कोई मदद नहीं की। उल्टा पुलिस ने उनसे कहा कि जब उनकी हत्या हो जाएगी तो वह उनके बेटों को जेल भेज देंगे।
बेटों ने छीनी जीवन भर की कमाई
कामता प्रसाद और लक्ष्मी ने बताया कि उनके बेटों ने उनसे उनकी जीवन भर की जमा पूंजी 70 हजार रुपए भी छीन ली है। अब उनके पास रहने के लिए कोई जगह नहीं है और वह दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं।
सिटी मजिस्ट्रेट ने दिया मदद का भरोसा
सिटी मजिस्ट्रेट प्रमोद झा ने कामता प्रसाद और लक्ष्मी की आपबीती सुनी और उन्हें मदद का भरोसा दिया। उन्होंने उन्हें अपना नंबर दिया और कहा कि अगर उनके बेटे उन्हें परेशान करते हैं तो वह उन्हें फोन कर सकते हैं।
क्या कहता है भारत का कानून
दिल्ली हाई कोर्ट ने 2016 में अपने एक फैसले में कहा है कि मां-बाप का घर अनिवार्य रूप से या कानूनन किसी बेटे को नहीं मिल सकता। बेटा अपने मां-बाप की मर्जी से ही उनके घर में रह सकता है। बेटे की वैवाहिक स्थिति कुछ भी हो, उसे मां-बाप द्वारा हासिल मकान में रहने का कानूनी अधिकार नहीं दिया जा सकता।
इस घटना ने समाज को झकझोर कर रख दिया है। यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या वाकई में औलाद अपने मां-बाप के साथ इतना निर्दय हो सकती है?
(रोहित राजवैद्य की रिपोर्ट) Bundelivarta.com