पूंछ वार्ड-1 पर पाल समाज एक ही प्रत्याशी को लड़ाएगी चुनाव महेश पाल पर ठोका दांव संघ की राजनीति में रहे सक्रिय.....पढिए पूरी खबर

पलक श्रीवास
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झांसी | जिले में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव का बिगुल बज चुका है और राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का दौर लगातार तेज हो रहा है। पूँछ क्षेत्र की जिला पंचायत वार्ड नंबर 1 इस बार सबसे ज्यादा सुर्खियों में है। यहां पाल समाज से ताल्लुक रखने वाले 33 वर्षीय महेश पाल कायला ने अपनी मजबूत दावेदारी पेश की है। महेश पाल न सिर्फ राजनीति में सक्रिय और जुझारू युवा चेहरा हैं, बल्कि पशु प्रेम और सामाजिक सेवा के लिए भी जाने जाते हैं।




पारिवारिक पृष्ठभूमि


महेश पाल मूल रूप से कायला गांव, तहसील मोठ के निवासी हैं। उनके पिता विजय सिंह पाल किसान हैं और महेश स्वयं भी खेती-किसानी से जुड़े रहे हैं। साधारण किसान परिवार से ताल्लुक रखने के बावजूद उन्होंने कठिन संघर्ष और अपने कर्मठ स्वभाव से समाज और राजनीति में अलग पहचान बनाई है।



शैक्षिक योग्यता


महेश पाल सिंह की प्रारंभिक शिक्षा पूँछ कस्बे के शारदा शिशु मंदिर से हुई। इसके बाद उन्होंने इंटरमीडिएट की पढ़ाई सुभाष इंटर कॉलेज पूँछ से पूरी की। वर्ष 2012 में उन्होंने मोठ के टीकाराम यादव महाविद्यालय से स्नातक (B.A.) की डिग्री हासिल की। पढ़ाई के साथ-साथ वह समाजिक गतिविधियों में भी सक्रिय रहे।



राजनीतिक सफर


महेश पाल का राजनीतिक सफर बेहद संघर्षपूर्ण रहा है। उन्होंने महज 21 वर्ष की आयु में अपने गांव कायला से प्रधानी का चुनाव लड़ा, भले ही उन्हें हार का सामना करना पड़ा लेकिन उनकी जुझारू प्रवृत्ति ने उन्हें राजनीति में टिकाए रखा।


  • वर्ष 2015 में प्रधानी चुनाव लड़ने के बाद उन्होंने संघ की राजनीति में सक्रियता दिखाई।
  • 2017 में बूथ अध्यक्ष बने।
  • 2022 में विधानसभा सहसंयोजक की जिम्मेदारी निभाई।
  • पूछ मंडल की कार्य समिति में सक्रिय सदस्य बने और भाजपा ने उन्हें मैन बॉडी का मंडल मंत्री नियुक्त किया।
  • वर्ष 2023 में पूछ सहकारी समिति से चुनाव लड़ा और डायरेक्टर पद पर शानदार जीत दर्ज की।



उनका यह राजनीतिक सफर दर्शाता है कि महेश पाल लगातार संगठन और जनता के बीच मजबूत पकड़ बनाए हुए हैं।



काम और उपलब्धियां


महेश पाल केवल राजनीति तक ही सीमित नहीं रहे, बल्कि सामाजिक सरोकारों से भी गहराई से जुड़े रहे। गांव में बरसात के दौरान जब मंगल सिंह का मकान ढह गया और परिवार के पांच सदस्य मलबे में दब गए, तब महेश पाल ने मौके पर पहुंचकर रेस्क्यू कराया और अस्पताल तक भिजवाया। बेघर हुए परिवार के लिए अस्थायी घर और भोजन की व्यवस्था कराई। ऐसे कई मौके रहे जब उन्होंने आम लोगों की समस्याओं को अपना मुद्दा बनाकर मदद की और समाज का भरोसा जीता।



जीवन का संघर्ष


महेश पाल अपने जीवन के संघर्ष को याद करते हुए कहते हैं कि गांव में पहले दबंगई और प्रभावशाली वर्ग का ही दबदबा रहा। आम ग्रामीणों को राजनीति में उतरने तक की अनुमति लेनी पड़ती थी। विरोध करने वालों पर झूठे मुकदमे लाद दिए जाते थे। इसी अन्याय ने महेश पाल के मन में यह ठानने की प्रेरणा दी कि वे इस दबदबे और गुंडाराज को खत्म करेंगे।


उन्होंने अपने शुरुआती राजनीतिक जीवन में ही प्रधानी चुनाव लड़कर यह संदेश दिया कि अब गांव में कोई भी व्यक्ति अपनी इच्छा से लोकतंत्र का हिस्सा बन सकता है।


जनता के बीच प्रमुख मुद्दे


महेश पाल ने अपने चुनावी एजेंडे में गांव की मूलभूत समस्याओं को प्राथमिकता दी है। कई गांवों में घर तक पहुंचने के लिए सड़कें नहीं हैं। नालियों की कमी के कारण बरसात में जलभराव की समस्या होती है। स्वास्थ्य सेवाएं और शिक्षा व्यवस्था सुधारना उनकी प्राथमिकता है। वे जनता को भरोसा दिलाते हैं कि जिला पंचायत सदस्य बनने के बाद इन मुद्दों पर सबसे पहले कार्य होगा।



समाज से मिला समर्थन


पूँछ वार्ड नंबर 1 सीट पर पाल समाज के वोटरों की भारी तादाद है और महेश पाल को अपने समाज का पूरा समर्थन मिल रहा है। हाल ही में पाल समाज की बैठक में यह तय किया गया कि समाज से केवल एक ही प्रत्याशी चुनाव लड़ेगा, और इस बार समाज ने महेश पाल पर भरोसा जताया है। महेश पाल का कहना है कि समाज के इस एकजुट समर्थन से उनकी जीत सुनिश्चित है। इसके साथ हर जातिवर्ग का भी समर्थन मिल रहा है|


विचारधारा


महेश पाल भारतीय जनता पार्टी से जुड़े हैं और स्पष्ट रूप से कहते हैं कि उनकी विचारधारा भाजपा से मेल खाती है। उनका मानना है कि भाजपा की नीतियां गांव, गरीब और किसानों के हित में हैं और इसी कारण उन्होंने भाजपा को अपनी राजनीतिक राह चुना।


( रिपोर्टर पलक श्रीवास ) Bundelivarta.com

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