झांसी न्यूज़ | झांसी के वीरांगना लक्ष्मीबाई रेलवे स्टेशन पर सोमवार तड़के एक दर्दनाक घटना घट गई। पलवल से अपने पिता के साथ झांसी लौटी 25 वर्षीय महिला की अचानक तबीयत बिगड़ी और ओवरब्रिज की सीढ़ियों पर ही उसने अंतिम सांस ले ली। परिजनों का कहना है कि महिला लंबे समय से मानसिक तनाव और बीमारी से जूझ रही थी।
| मृतिका की फ़ाइल फोटो |
पलवल में भाई संग रह रही थी
चिरगांव क्षेत्र के मड़ई गांव निवासी लक्ष्मी राजपूत की शादी करीब पांच साल पहले गांव के ही सोनू से हुई थी। शादी के शुरुआती दिनों में सब कुछ सामान्य रहा, लेकिन बाद में पति-पत्नी के बीच अनबन बढ़ने लगी। करीब आठ महीने पहले स्थिति बिगड़ने पर लक्ष्मी अपना मायका छोड़कर भाई राजकुमार के पास पलवल चली गई थी। वहां एक फैक्ट्री में काम कर वह अपने जीवन का खर्च और ढाई साल की बेटी सारिका की देखभाल कर रही थी।
पति से बातचीत बंद, बढ़ा तनाव
लक्ष्मी के भाई ने बताया कि उसके पति सोनू ने पिछले कई महीनों से उससे कोई बातचीत नहीं की थी। इस बेरुखी ने लक्ष्मी को भीतर से तोड़ दिया था। धीरे-धीरे वह कमजोर होती चली गई और बीमार रहने लगी। परिवार इलाज के लिए उसे दिल्ली तक ले गया, लेकिन कोई खास सुधार नहीं हुआ।
झांसी लौटते वक्त बिगड़ी तबीयत
दो दिन पहले लक्ष्मी की हालत ज्यादा खराब हो गई। तब पिता राकेश उसे लेकर झांसी लौटने के लिए कुरुक्षेत्र–खजुराहो गीता जयंती एक्सप्रेस के जनरल डिब्बे में बैठे। सोमवार रात करीब तीन बजे जब ट्रेन झांसी स्टेशन पहुंची तो दोनों प्लेटफॉर्म नंबर 3 पर उतरे। स्टेशन से बाहर जाने के लिए जैसे ही वे ओवरब्रिज की सीढ़ियां चढ़ने लगे, लक्ष्मी अचानक निढाल होकर बैठ गई। कुछ ही पल में उसने दम तोड़ दिया।
डॉक्टरों ने मौके पर ही दी मौत की पुष्टि
यात्रियों ने घटना की जानकारी रेलवे अधिकारियों को दी। मौके पर पहुंचे रेलवे के डॉक्टर ने जांच की और लक्ष्मी को मृत घोषित कर दिया। अचानक हुई इस घटना से पिता राकेश स्तब्ध रह गए।
भाई का दर्द—जीजा ने हाल तक नहीं पूछा
मृतका के भाई राजकुमार ने आरोप लगाया कि जीजा सोनू ने एक दिन भी बहन का हाल नहीं पूछा। न बेटी की चिंता की और न ही पत्नी की। इसी कारण लक्ष्मी तनाव में जी रही थी।
मासूम हुई मां से अनाथ
लक्ष्मी के निधन के बाद उसकी ढाई साल की मासूम बेटी मां के साये से वंचित हो गई है। परिवारजन अब बच्ची के भविष्य की चिंता में डूबे हैं। गांव में घटना की खबर पहुंचते ही लोगों में शोक की लहर दौड़ गई।
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(रोहित राजवैद्य की रिपोर्ट) Bundelivarta.com



