छतरपुर जिला अस्पताल पर डिलीवरी में लापरवाही का आरोप
छतरपुर जिला अस्पताल पर गंभीर लापरवाही और भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं। ओरछा रोड थाना अंतर्गत डुरारी गांव की 20 वर्षीय मोना यादव को 20 सितंबर की रात करीब 3 बजे प्रसव पीड़ा हुई। परिजन उसे किराए की गाड़ी से जिला अस्पताल लेकर पहुंचे।
परिजनों का कहना है कि अस्पताल के डिलीवरी वार्ड में स्टाफ ने इलाज के बदले 5 हजार रुपए की मांग की। जब परिवार ने पैसे देने से मना किया तो महिला को भर्ती तो कर लिया गया, लेकिन किसी प्रकार का उपचार नहीं किया गया।
परिवार का आरोप है कि 24 घंटे तक महिला को यूं ही रखा गया और बाद में कह दिया गया कि अभी 2 दिन तक डिलीवरी नहीं होगी। इसके बाद उसे छुट्टी देकर घर भेज दिया गया।
अस्पताल से घर लौटने के करीब 2 घंटे बाद ही महिला की डिलीवरी हो गई। इस दौरान नवजात की मौत हो गई। परिजन तुरंत मां और बच्चे को लेकर फिर से जिला अस्पताल पहुंचे, लेकिन डॉक्टरों ने नवजात को मृत घोषित कर दिया।
मोना यादव की हालत बिगड़ती देख डॉक्टरों ने उसे बाड़ा वार्ड में भर्ती कर लिया। परिवार का आरोप है कि यदि अस्पताल स्टाफ ने समय रहते इलाज किया होता, तो बच्चे की जान बचाई जा सकती थी।
इस पूरे मामले के बाद ग्रामीणों और परिजनों में आक्रोश है। उनका कहना है कि सरकारी अस्पताल में गरीबों के साथ इस तरह की लापरवाही और पैसे की मांग आम हो गई है।
पीड़िता के परिजन फूल सिंह ने बताया कि वे मंगलवार को कलेक्टर और एसपी से जनसुनवाई में शिकायत करेंगे, ताकि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो सके।
इस मामले में जब अस्पताल के प्रभारी आरपी गुप्ता से संपर्क करने की कोशिश की गई तो उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया। वहीं प्रभारी सिविल सर्जन अंकुर खरे का कहना है कि मामले की जानकारी मिलते ही जांच शुरू कर दी जाएगी और जांच रिपोर्ट आने के बाद जिम्मेदार स्टाफ पर कार्रवाई की जाएगी।
इस घटना ने एक बार फिर जिला अस्पताल की कार्यप्रणाली और स्वास्थ्य सेवाओं की गंभीर खामियों को उजागर कर दिया है। गरीब मरीजों से पैसों की मांग और इलाज में लापरवाही जैसे आरोप स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल खड़े कर रहे हैं।
( रिपोर्टर पलक श्रीवास ) Bundelivarta.com




