टीकमगढ़ न्यूज़ | शहर का पुराना बस स्टैंड इन दिनों अवैध सट्टा कारोबार का प्रमुख केंद्र बन गया है। इस क्षेत्र में हर दिन बड़ी संख्या में लोग सट्टा खेलने के लिए एकत्र होते हैं और खुलेआम अड्डेबाजी करते नजर आते हैं। यह सब कुछ कोतवाली थाने से चंद कदम की दूरी पर हो रहा है, बावजूद इसके पुलिस और प्रशासन की ओर से अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है।
स्थानीय लोगों की मानें तो पुराने बस स्टैंड पर दोपहर बाद से ही सट्टेबाजी शुरू हो जाती है, जो देर रात तक चलती है। एजेंट खुलेआम मोबाइल पर नंबरों की बोली लगाते हैं, पर्चियों का लेन-देन होता है और हार-जीत के आंकड़े सार्वजनिक रूप से घोषित किए जाते हैं। कई बार इस अवैध गतिविधि को लेकर विवाद भी हो चुके हैं, लेकिन पुलिस ने अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है।
युवाओं का भविष्य हो रहा बर्बाद
शहर का युवा वर्ग इस दलदल में बुरी तरह फंसता जा रहा है। चंद पैसों की लालच में वे अपनी कमाई गंवा बैठते हैं और धीरे-धीरे कर्ज में डूब जाते हैं। कई मामलों में लोगों ने अपने गहने तक गिरवी रख दिए या कर्ज लेकर सट्टा खेला, जिससे पूरा परिवार आर्थिक संकट में आ गया है।
प्रशासन की चुप्पी पर उठे सवाल
यह सब कुछ पुलिस और प्रशासन की नाक के नीचे हो रहा है, जिससे यह संदेह गहराता जा रहा है कि कहीं न कहीं सट्टा माफिया और कुछ जिम्मेदारों के बीच मिलीभगत हो सकती है। आमजन अब इस चुप्पी पर सवाल उठाने लगे हैं।
जनता में आक्रोश, कार्रवाई की मांग
स्थानीय व्यापारियों, रहवासियों और समाजसेवियों ने इस अवैध कारोबार के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। उनका कहना है कि यदि प्रशासन ने शीघ्र कार्रवाई नहीं की, तो वे आंदोलन का रास्ता अपनाएंगे।
"समाज को खोखला कर रही सट्टेबाजी" – अमित रावत
समाजसेवी अमित रावत ने कहा कि सट्टा अब केवल अवैध गतिविधि नहीं, बल्कि समाज को अंदर से खोखला कर रही बीमारी बन चुका है। यह नशे से भी ज्यादा खतरनाक है क्योंकि यह युवाओं को आलसी, कर्जदार और अपराध की ओर धकेलता है। यदि प्रशासन ने अब भी आंखें मूंदे रखीं, तो टीकमगढ़ की अगली पीढ़ी इसकी बड़ी कीमत चुकाएगी।
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(अनिल श्रीवास की रिपोर्ट) Bundelivarta.com


