झांसी संगोष्ठी में किसानों की आवाज दबाई, मंत्री ने कहा – "जो सुनना है वही सुनूंगा"

रोहित राजवैद्य
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झांसी न्यूज़। बुंदेलखंड के जिलों से आए किसानों की खरीफ संगोष्ठी बुधवार को विवादों में घिर गई, जब उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही किसानों की शिकायतों पर भड़क गए। शिकायत करने पर एक किसान को डांट दिया और बोले, जो सुनना है वही सुनूंगा।



झांसी के पंडित दीनदयाल उपाध्याय सभागार में आयोजित इस कार्यक्रम में चित्रकूट, बांदा, झांसी, जालौन, ललितपुर, हमीरपुर और महोबा जिलों के किसानों को बुलाया गया था। मंच पर कृषि मंत्री के साथ जिला पंचायत अध्यक्ष पवन गौतम, मंडल आयुक्त बिमल कुमार दुबे, सीडीओ जुनैद अहमद और अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।


कार्यक्रम का उद्देश्य खरीफ फसलों से जुड़ी योजनाओं की जानकारी देना और किसानों से संवाद करना था, लेकिन जब किसानों ने खाद, खरीद केंद्रों की धांधली और विभागीय भ्रष्टाचार को लेकर शिकायतें शुरू कीं, तो मंत्री असहज हो उठे।


किसान ने उठाया विभागीय भ्रष्टाचार का मुद्दा

किसान महेंद्र शर्मा ने पराली जलाने पर किसानों को जेल भेजने की बात उठाते हुए सवाल किया कि जब अधिकारी मूंगफली खरीद में सुविधा शुल्क मांगते हैं, तो उन्हें जेल क्यों नहीं भेजा जाता? उन्होंने कहा, "हमारे विभाग बीमार हैं, इनमें न स्पीड है न टेक्नोलॉजी।"


मंत्री ने किसान को बीच में ही रोकते हुए कहा कि यह राजनीतिक मंच नहीं है और जिन्हें सुझाव देना है वही बोलें, वरना जा सकते हैं। इससे आक्रोशित किसानों ने कार्यक्रम छोड़ना शुरू कर दिया, जिसे बाद में अधिकारियों ने बड़ी मुश्किल से नियंत्रित किया।


किसानों का रोष, मंत्री की नाराज़गी

इस घटनाक्रम ने किसानों और प्रशासन के बीच की खाई को उजागर कर दिया। मंत्री ने किसान यूनियनों पर भी निशाना साधते हुए कहा कि "दस-दस यूनियन बनी हैं, पर कोई किसानों की सही बात नहीं करता।


संवाद के मंच पर जब असली समस्याएं उठीं, तो संवाद की जगह सख्ती ने ले ली। किसानों को उम्मीद थी कि उनकी आवाज सुनी जाएगी, लेकिन कार्यक्रम एकतरफा संवाद बन कर रह गया।


(रोहित राजवैद्य की रिपोर्ट) Bundelivarta.com 


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