झांसी के बंगरा ब्लॉक में भूसा टेंडर में फर्जीवाड़े का आरोप

रोहित राजवैद्य
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झांसी न्यूज़। झांसी के विकास खण्ड बंगरा में स्थायी व अस्थायी गौशालाओं हेतु भूसा (गेहूं, चना, मटर, सोयाबीन आदि) की आपूर्ति के लिए दिनांक 19 अप्रैल 2025 को टेंडर जारी किए गए थे, जिसके तहत अनुभव प्रमाणपत्र के आधार पर फर्मों का चयन किया जाना था। इस टेंडर प्रक्रिया को लेकर अब गंभीर अनियमितताओं और पक्षपात के आरोप लग रहे हैं।



फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र बनवाकर टेंडर लेने का आरोप

राजकुमार, प्रोप्राइटर सुरभि ट्रेडर्स, ग्राम कचनैव ने आरोप लगाया है कि "एक्सीलेन्ट इंजीनियर एंड कंस्ट्रक्शन" नामक फर्म ने फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र बनाकर टेंडर डाला और उसे अधिकारियों की मिलीभगत से मंजूरी भी मिल गई। उनका कहना है कि उक्त फर्म ने जो अनुभव पत्र प्रस्तुत किया, उसमें वर्षवार आपूर्ति की जानकारी नहीं है और एकमुश्त 2.20 करोड़ की आपूर्ति दर्शाई गई है, जो नियमों के विरुद्ध है।


पात्र होने के बावजूद प्रक्रिया से बाहर किया गया

दूसरी ओर अर्जुन सिंह, प्रोप्राइटर अर्जुन सिंह कंस्ट्रक्शन फर्म, ग्राम गैराहा ने भी आपत्ति दर्ज कराते हुए कहा कि उन्हें सिर्फ एक वर्ष का अनुभव बताकर टेंडर प्रक्रिया से बाहर कर दिया गया, जबकि उन्होंने वर्ष 2023-24 में ₹5.06 करोड़, 2024-25 में ₹62.28 लाख, ₹29.01 लाख, मैलानी में दो लाख सत्तावन हजार, किशोरपुरा में सात लाख के करीब, बुखारा में करीब चार लाख, बेराबाई में दो लाख के करीब की आपूर्ति की है, जिसके प्रमाणपत्र भी प्रस्तुत किए गए हैं। इसके बावजूद अधिकारी उनकी फर्म को अयोग्य ठहरा रहे हैं।


नियमों का उल्लंघन, अनुभव की वर्षवार शर्तों की अनदेखी

टेंडर दस्तावेजों के अनुसार, भूसा आपूर्ति के लिए फर्म को दो वर्षों में प्रत्येक वर्ष न्यूनतम एक-एक करोड़ रुपये की आपूर्ति का अनुभव आवश्यक था। परन्तु "एक्सीलेन्ट इंजीनियर एंड कंस्ट्रक्शन" का प्रमाणपत्र औसत राशि दिखाता है, जिससे यह स्पष्ट नहीं होता कि प्रत्येक वर्ष की पात्रता शर्त पूर्ण की गई या नहीं।


विवादित फर्म का दावा और समर्थन

मैसर्स एक्सीलेन्ट इंजीनियर एंड कंस्ट्रक्शन, प्रोपराइटर नरेंद्र कुमार तिवारी ने ग्राम पंचायत सिजारी खुर्द, चकारा, वीरा, घाटलहचूरा व बम्होरी में कुल ₹2.20 करोड़ की आपूर्ति का दावा किया है, जिसे कुछ अधिकारियों द्वारा "संतोषजनक" बताया गया है। इस फर्म को टेंडर प्रक्रिया में योग्य माना गया है, जबकि दस्तावेजों की पारदर्शिता पर सवाल खड़े हो रहे हैं।


(रोहित राजवैद्य की रिपोर्ट) Bundelivarta.com 

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