झांसी न्यूज़। झांसी स्टेशन पर सोमवार रात एक भावुक पल तब सामने आया जब एक पांच साल का बच्चा अकेले ट्रेन से सफर करता हुआ वहां पहुंचा। वह मासूम मुंबई के ठाणे से झांसी तक बिना टिकट और बिना मंजिल के आ गया। वजह सिर्फ एक थी—मां की तलाश।
बच्चे ने बताया कि वह स्कूल से लौटा तो मां घर में नहीं थी। पिता काम पर थे। मां की चिंता में वह घर से निकल पड़ा और किसी ट्रेन में जा बैठा। कुछ ही देर में ट्रेन चल पड़ी और वह झांसी तक पहुंच गया।
ट्रेन में लोगों ने उसे भिखारी समझ कर खाना दिया। एक व्यक्ति ने उससे सीट साफ कराई और बदले में रोटी दी। लेकिन जब टीटीई प्रदीप कुमार त्रिपाठी को बच्चा दिखा, तो उन्होंने उससे बातचीत की। बातों से साफ हुआ कि यह बच्चा घर से भटक गया है। प्रदीप उसे एसी कोच में ले आए, खाना और पानी दिया और कंट्रोल रूम को सूचना दी।
झांसी स्टेशन पर पहले से ही डिप्टी एसएस एसके नरवरिया और चाइल्ड लाइन की टीम इंतजार कर रही थी। रात 10:10 बजे जैसे ही ट्रेन पहुंची, बच्चा उतारा गया। उसे ऑफिस लाकर खाना खिलाया गया और फिर चाइल्ड लाइन को सौंप दिया गया।
बच्चा सिर्फ इतना बता पाया कि उसका नाम नहीं पता, लेकिन वह ठाणे में रहता है, मां का नाम सक्को और पिता का नाम रोहित है। उसने बताया कि मम्मी का मोबाइल टूट गया है, इसलिए नंबर भी याद नहीं। फिलहाल परिवार से संपर्क करना मुश्किल हो रहा है।
उसने जो कपड़े पहने थे, वो ट्रेन के फर्श पर सोने के कारण गंदे हो चुके हैं। सैंडल भी खो चुकी है। बार-बार कह रहा है—"मुझे घर जाना है"।
रेलवे जनसंपर्क अधिकारी मनोज कुमार सिंह ने बताया कि टीटीई और स्टेशन स्टाफ ने जो किया वो सराहना के काबिल है। बच्चे को पूरी सुरक्षा के साथ चाइल्ड लाइन को सौंपा गया है और उसके घरवालों की तलाश की जा रही है।
(रोहित राजवैद्य की रिपोर्ट) Bundelivarta.com