झांसी में वकीलों के विरोध प्रदर्शन के चलते मंगलवार को तहसील का कामकाज पूरी तरह ठप हो गया। वकील अपनी विभिन्न मांगों को लेकर पुरानी तहसील के मुख्य गेट पर कुर्सियां लगाकर बैठ गए और कोई भी व्यक्ति कार्यालय में प्रवेश नहीं कर पाया। उनके विरोध का मुख्य कारण वकीलों के लिए आवश्यक कानूनों में बदलाव की मांग थी। वकील यह कह रहे थे कि सरकार ने उनकी मांगों को अनसुना किया और उन्हें प्रदर्शन करने के लिए मजबूर किया।
मुख्य मांगें
एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट में बदलाव
गलत मुकदमा लड़ने पर जुर्माना लगाने की प्रक्रिया
वकील की मृत्यु के बाद उनके परिवार को 10 लाख रुपये की अनुदान राशि
यह प्रदर्शन 21 फरवरी को जिलाधिकारी के माध्यम से सरकार को भेजे गए एक पत्र का हिस्सा था, जिसमें वकीलों ने अपनी मांगों का जिक्र किया था। प्रदर्शन के दौरान वकीलों ने चेतावनी दी थी कि अगर उनकी मांगों पर कोई सुनवाई नहीं होती है, तो वे 25 फरवरी को रजिस्ट्री का बहिष्कार करेंगे। मंगलवार को यह चेतावनी सच साबित हुई, जब उन्होंने पुरानी तहसील के गेट पर धरना दिया और रजिस्ट्री प्रक्रिया को रोक दिया।
रजिस्ट्री का बहिष्कार
अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष पंकज पाराशर ने कहा कि यह विरोध प्रदर्शन उत्तर प्रदेश बार काउंसिल के आह्वान पर किया जा रहा है। पूरे प्रदेश में वकील रजिस्ट्री का बहिष्कार कर रहे हैं। यदि उनकी मांगें नहीं मानी जाती हैं, तो आगामी दिनों में इस आंदोलन को और बड़ा किया जाएगा। इस प्रदर्शन में कोषाध्यक्ष वीर सिंह सरदार, राजेंद्र कुमार प्रजापति जैसे कई वरिष्ठ अधिवक्ता भी शामिल हुए।
खरीदारों और विक्रेताओं को हुआ नुकसान
बुधवार को महाशिवरात्रि की छुट्टी के कारण कई लोग मंगलवार को जमीन की खरीद-फरोख्त के लिए तहसील पहुंचे थे, लेकिन वकीलों के प्रदर्शन के चलते रजिस्ट्री नहीं हो सकी। कुछ खरीदार और विक्रेता ने कार्यालय तक पहुंचने का प्रयास किया, लेकिन उन्हें गेट से ही लौटा दिया गया।
यह घटना एक बार फिर से यह साबित करती है कि जब तक वकीलों की मांगे पूरी नहीं होतीं, तब तक उनका विरोध जारी रहेगा और वे अपने हक के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं।
(रोहित राजवैद्य की रिपोर्ट) Bundelivarta.com