झांसी: महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में इलाज के अभाव में एक घायल युवक ने तड़प-तड़पकर दम तोड़ दिया। हादसे में गंभीर रूप से घायल युवक को अस्पताल लाया गया था, लेकिन परिजनों का आरोप है कि डॉक्टरों ने पांच घंटे तक इलाज नहीं किया और जब उसकी मौत हो गई, तब उसे भर्ती दिखाया गया। घटना के बाद परिजनों और स्थानीय लोगों ने मेडिकल कॉलेज में जमकर हंगामा किया।
5 घंटे तड़पता रहा, पर डॉक्टरों ने भर्ती तक नहीं किया
राजगढ़, प्रेमनगर निवासी विनय अहिरवार (18) पेशे से इलेक्ट्रिशियन था और गुरुवार को वह अपने साथी शहबाज उर्फ बिट्टो के साथ बाइक से काम के सिलसिले में शिवपुरी जा रहा था। रक्सा टोल प्लाजा के पास उनकी बाइक को एक ट्रक ने टक्कर मार दी, जिससे विनय गंभीर रूप से घायल हो गया। साथी शहबाज को मामूली चोट आई, जबकि विनय को स्थानीय लोगों ने तुरंत झांसी मेडिकल कॉलेज पहुंचाया।
परिजनों का आरोप है कि दोपहर 12:45 बजे विनय को अस्पताल लाया गया, लेकिन डॉक्टरों ने समय पर इलाज नहीं किया। उसकी बहन सोनम ने बताया, "भाई दर्द से तड़प रहा था, खून बह रहा था, लेकिन किसी डॉक्टर ने टांके तक नहीं लगाए। एक्स-रे और सीटी स्कैन करवाने के बाद भी डॉक्टरों ने कहा कि सब नॉर्मल है। इलाज की जगह उसे इधर-उधर भेजते रहे।"
बेवजह टालते रहे, आखिरकार दम तोड़ दिया
सोनम ने बताया कि जब उन्होंने डॉक्टरों से विनय के इलाज के लिए अनुरोध किया, तो उन्हें इमरजेंसी और ऑर्थो वार्ड के बीच दौड़ाया गया। "ऑर्थो वाले सर्जरी वालों के पास भेजते और सर्जरी वाले ऑर्थो के पास। कोई डॉक्टर गंभीरता से इलाज करने को तैयार नहीं था। जब पिता ने डॉक्टरों से हाथ जोड़कर विनती की, तब शाम 5:27 बजे उसे भर्ती दिखाया गया, लेकिन तब तक वह दम तोड़ चुका था।"
मौत के बाद भर्ती दिखाने पर भड़के परिजन, 3 घंटे हंगामा
जब विनय की मौत हो गई, तो परिजनों और स्थानीय लोगों का गुस्सा फूट पड़ा। बड़ी संख्या में लोग मेडिकल कॉलेज पहुंचे और अस्पताल प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए हंगामा शुरू कर दिया। गुस्साए लोग इमरजेंसी वार्ड में घुसने का प्रयास करने लगे, लेकिन गार्डों और पुलिस ने उन्हें रोक लिया। लगभग 3 घंटे तक हंगामा चलता रहा, जिसके बाद पुलिस ने मौके पर पहुंचकर परिजनों को शांत कराया। इसके बाद उन्होंने डॉक्टरों के खिलाफ लिखित शिकायत दी।
अस्पताल प्रशासन ने आरोपों को नकारा
मेडिकल कॉलेज के इमरजेंसी मेडिकल ऑफिसर डॉ. हरनारायण ने लापरवाही के आरोपों को खारिज करते हुए कहा, "विनय को दोपहर 12:45 बजे इमरजेंसी में लाया गया था। उसकी हालत गंभीर थी, जांच में पता चला कि उसकी कमर की हड्डी टूटी थी और पेशाब की थैली फटी हुई थी। उसे तुरंत भर्ती कर इंटुबेट किया गया, लेकिन शाम को उसकी मौत हो गई। हमने पूरी कोशिश की, कोई लापरवाही नहीं हुई।"
पहले भी लापरवाही से गई थी 18 नवजातों की जान
यह कोई पहली घटना नहीं है जब झांसी मेडिकल कॉलेज में इलाज में लापरवाही की शिकायत आई हो। 15 नवंबर को अस्पताल के नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाई (NICU) में आग लगने से 10 बच्चों की मौत हो गई थी। बाद में 8 और नवजातों ने दम तोड़ दिया।
परिजनों ने प्रशासन से मांग की है कि डॉक्टरों पर कड़ी कार्रवाई हो ताकि भविष्य में किसी और मरीज को ऐसी लापरवाही का शिकार न बनना पड़े। फिलहाल पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है।
(रोहित राजवैद्य की रिपोर्ट) Bundelivarta.com