टीकमगढ़ जिले के बल्देवगढ़ जनपद की ग्राम पंचायत लुहर्रा में एक बार फिर प्रशासनिक लापरवाही उजागर हुई है। सोमवार को एक युवक के अंतिम संस्कार के दौरान ग्रामीणों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। गांव में मुक्तिधाम (श्मशान भूमि) न होने के कारण लोगों को खुले आसमान के नीचे, बारिश में भीगते हुए, प्लास्टिक की पन्नी के नीचे चिता जलानी पड़ी।
यह दुखद दृश्य 18 वर्षीय सुमित यादव पुत्र हरिशंकर यादव की मौत के बाद सामने आया। रविवार शाम सुमित खेत पर काम कर रहा था, तभी वह करंट की चपेट में आ गया और उसकी मौके पर ही मौत हो गई। सोमवार सुबह पोस्टमॉर्टम के बाद परिजन जब उसका अंतिम संस्कार करने पहुँचे, तभी बारिश शुरू हो गई।
पन्नी के नीचे जलानी पड़ी चिता
बारिश लगातार तेज होने के कारण अंतिम संस्कार स्थल पर कीचड़ और पानी भर गया। ग्रामीणों के पास कोई पक्की श्मशान भूमि या छतदार स्थल नहीं था, इसलिए मजबूर होकर उन्होंने प्लास्टिक की पन्नियों और त्रिपाल का सहारा लेकर चिता सजाई और सुमित का अंतिम संस्कार किया।
घटना का वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है, जिसमें ग्रामीण पन्नी थामे हुए चिता को बारिश से बचाने की कोशिश करते नजर आ रहे हैं।
गांव के बुजुर्गों का कहना है कि लुहर्रा में पिछले 75 वर्षों से श्मशान भूमि नहीं बनी है। हर बार ग्रामीण खुले में अंतिम संस्कार करने को मजबूर होते हैं।
पहले भी उठा था मुद्दा, पर कार्रवाई नहीं हुई
ग्राम पंचायत मातौल में भी कुछ समय पहले इसी तरह का मामला सामने आया था, जब 87 वर्षीय रामस्वरूप तिवारी का अंतिम संस्कार बारिश से बचने के लिए चिता के ऊपर पन्नी डालकर किया गया था। उस समय कलेक्टर ने जिले की 100 ग्राम पंचायतों में मुक्तिधाम बनाने के निर्देश दिए थे, लेकिन अब तक लुहर्रा में यह सुविधा नहीं मिल सकी।
ग्रामीणों का कहना है कि वे वर्षों से प्रशासन से मुक्तिधाम की मांग कर रहे हैं, लेकिन आज तक सिर्फ आश्वासन ही मिला है।
“बारिश हो या धूप, हमें अपने प्रियजनों का अंतिम संस्कार खुले मैदान में ही करना पड़ता है,” एक ग्रामीण ने बताया।
( रिपोर्टर पलक श्रीवास ) Bundelivarta.com



