झांसी। यूपी में
त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की हलचल तेज हो गई है। साकिन वार्ड–2 की राजनीति गरमा रही है। यहाँ संभावित दावेदारों की लंबी फेहरिस्त निकलकर सामने आ रही है और गांव से लेकर कस्बों तक हर चौपाल पर चुनावी चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है। पिछले चुनाव में जिस तरह यहाँ दावेदारों
की भीड़ लगी थी, उसी तर्ज पर इस बार भी सियासी जंग दिलचस्प होने के आसार हैं।
संभावित दावेदारों की सूची
साकिन वार्ड –2 से इस बार भी दर्जनभर नाम चुनावी चर्चाओं में हैं। सामान्य वर्ग से शिवेंद्र प्रताप सिंह गुर्जर उर्फ शैली,
राजीव गुर्जर ओबीसी वर्ग से वकील अहमद, निशार खान,
मुन्ना मेवाती एससी वर्ग से मनीराम वर्मा, जयपाल अहिरवार आदि |
आरक्षण का फैक्टर
इस सीट पर आरक्षण का फैसला दावेदारों की संख्या को प्रभावित करेगा। अभी भले ही दर्जनभर दावेदार मैदान में दिखाई दे रहे हैं, लेकिन सीट के आरक्षण तय होते ही कई नाम इस लिस्ट से बाहर हो सकते हैं और नए चेहरे भी उभरेंगे |
पिछला चुनाव का समीकरण
2021 के चुनाव में इस सीट से 10 दावेदार मैदान में थे, जिनमें से एक ही दावेदार अपनी जमानत बचा पाया था। जयपाल सिंह को 7352 वोट मिले और उन्होंने जीत पाकर अपनी जमानत जब्त होने से बचा ली, वहीं दूसरी ओर मनीराम ने 7314 वोट पाकर उपविजेता का पद हासिल किया । जबकि इसके साथ 8 प्रत्याशियों
की जमानत जब्त हुई |
वोटों का गणित
2021 के चुनाव में कुल 44665 मतदाता थे, जिनमें से 33226 मतदाताओं ने मतदान किया। इस सीट पर 74.39 प्रतिशत मतदान हुआ था, जबकि 3028 वोट खारिज हो गए थे। यानी जीत-हार का फैसला 30198 वोटों ने तय किया।
जातिगत समीकरण
साकिन वार्ड–2 का चुनाव जातिगत समीकरणों पर हमेशा से असर डालता रहा है। यादव, पाल, हरिजन, ब्राह्मण, ठाकुर और अन्य जातियों का वोट बैंक उम्मीदवारों
की जीत-हार का रास्ता तय करता है। यही वजह है कि सभी प्रत्याशी अपनी जातिगत पकड़ को मज़बूत
करने की कोशिश में जुटे हुए हैं।
इस सीट पर इतनी ग्रामपंचायत
बुढेराघाट, छैवटा, अटा, साकिन, करई, सेरसा, गडोरकलां, इमिलिया स्टेट, कडूरा, पचोबई, महेलुआ, चिरगांवखुर्द, बांगरी, खूजा, बरोदा, पहाड़पुरा, बडोखरी, दतावलीकलां, बहादुरपुर, बरनाया, कांडौर
जनता किसे सौंपेगी सत्ता की चाबी
साकिन वार्ड –2 की सीट पर इस बार भी सियासी मुकाबला रोचक रहने वाला है। संभावित दावेदारों
की लिस्ट लगातार लंबी हो रही है, लेकिन आरक्षण और जातिगत समीकरण आख़िरी समय में तस्वीर बदल सकते हैं। पिछले चुनाव का इतिहास बताता है कि भीड़ में से कुछ ही चेहरे वोटरों के भरोसे पर खरे उतरते हैं। अब देखना यह होगा कि 2026 में जनता किसे चुनकर पंचायत की सत्ता की चाबी सौंपती है।
( रिपोर्ट पलक श्रीवास ) Bundelivarta.com