जालौन न्यूज़ | जालौन के कोंच तहसील परिसर बुधवार को अनोखे नज़ारे का गवाह बना। लेखपाल संघ सभागार दिव्यांगजनों की आवाज़ और उत्साह से भर उठा। वजह थी – उपजिलाधिकारी ज्योति सिंह की पहल पर आयोजित दिव्यांगजन विशेष शिविर।
योजनाओं से जोड़ने का प्रयास
शिविर में आए लाभार्थियों का स्वास्थ्य परीक्षण विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम ने किया। उन्हें न सिर्फ जरूरी परामर्श मिला, बल्कि दिव्यांग प्रमाणपत्र बनाने की प्रक्रिया भी समझाई गई। अधिकारियों ने साफ कहा कि एक बार प्रमाणपत्र मिलते ही पेंशन, सहायक उपकरण और बाकी सरकारी योजनाओं का सीधा लाभ इन तक पहुंचेगा।
मैं खुद दिव्यांग हूं, इसलिए बेहतर समझती हूं
इस शिविर की खास बात यह रही कि इसे आयोजित कराने वाली एसडीएम ज्योति सिंह स्वयं दिव्यांग हैं। लेकिन उन्होंने कभी इसे अपनी कमजोरी नहीं बनने दिया। प्रशासनिक जिम्मेदारियों को निभाने के साथ-साथ वे समाज के कमजोर वर्ग की आवाज़ भी बनीं। उनका कहना था— किसी भी दिव्यांग को असुविधा न हो, यही इस शिविर का असली मकसद है।
चिकित्सा विशेषज्ञों की मौजूदगी
शिविर में डॉ. बी.पी. सिंह (आंख-कान रोग विशेषज्ञ), डॉ. जे.जे. राम (वरिष्ठ नेत्र सर्जन), डॉ. अर्चना विश्वास (मानसिक रोग विशेषज्ञ), डॉ. रामजी दुबे (हड्डी रोग विशेषज्ञ) और सीएमओ कार्यालय से देवेंद्र भदौरिया मौजूद रहे। सभी ने मिलकर दिव्यांगजनों की समस्याओं को सुना और उनका समाधान करने की कोशिश की।
दिव्यांगों की जुबानी—‘ऐसे शिविर उम्मीद जगाते हैं’
शिविर में आए दिव्यांगों ने इस पहल की जमकर सराहना की। उनका कहना था कि सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाने से बेहतर है कि ऐसी पहल सीधा उन्हें राहत और सुविधा पहुंचाती है।
संदेश साफ है
कोंच का यह शिविर सिर्फ योजनाएं बांटने का कार्यक्रम नहीं था, बल्कि एक संदेश था— दिव्यांगता कमजोरी नहीं, ताकत है। और इसकी मिसाल बनीं खुद एसडीएम ज्योति सिंह, जिन्होंने साबित किया कि संवेदनशील नेतृत्व से प्रशासन जनता का भरोसा जीत सकता है।
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(रोहित राजवैद्य की रिपोर्ट) Bundelivarta.com