जालौन : औंता ग्राम पंचायत में 9 लाख से अधिक का गबन, दोबारा जांच के आदेश

रोहित राजवैद्य
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जालौन न्यूज़ | डकोर विकासखंड की ग्राम पंचायत औंता में विकास कार्यों के नाम पर बड़ा भ्रष्टाचार सामने आया है। ग्राम प्रधान और तत्कालीन सचिव पर करीब 9 लाख 33 हजार 922 रुपये का गबन करने का आरोप साबित हुआ है। जांच समिति ने इस गड़बड़ी की पुष्टि कर रिकवरी के आदेश भी दिए थे, लेकिन अब तक कार्रवाई न होने से मामले पर सवाल खड़े हो गए हैं। शिकायतकर्ता का आरोप है कि जिम्मेदार अधिकारी मामले को दबाने की कोशिश कर रहे हैं, वहीं जिला प्रशासन का कहना है कि पर्याप्त साक्ष्य न मिलने के कारण मामले की दोबारा जांच कराई जा रही है।


अनिल वर्मा शिकायतकर्ता


ग्रामीण की शिकायत से खुला मामला

ग्राम पंचायत औंता निवासी अनिल वर्मा पुत्र भगवानदास वर्मा ने ग्राम प्रधान और तत्कालीन सचिव पर फर्जीवाड़े और धांधली का आरोप लगाते हुए जिलाधिकारी को शपथपत्र के साथ शिकायत सौंपी थी। शिकायत में ग्राम निधि और मनरेगा के कार्यों में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी का आरोप लगाया गया था। अनिल वर्मा ने बताया कि उन्होंने 26 जून 2025 को ही इस संबंध में जिलाधिकारी को पत्र सौंपा था।


राम अयोध्या प्रसाद- डीपीआरओ, जालौन


तीन सदस्यीय जांच समिति की पुष्टि

शिकायत के आधार पर जिलाधिकारी ने तीन सदस्यीय जांच समिति गठित की थी। इसमें परियोजना निदेशक डीआरडीए अखिलेश तिवारी, नायाब तहसीलदार उरई हरपाल सिंह और सहायक विकास अधिकारी डकोर नरेश चंद्र द्विवेदी शामिल थे। समिति ने 24 जुलाई को स्थलीय निरीक्षण और अभिलेखों का सत्यापन किया। जांच रिपोर्ट में पाया गया कि ग्राम पंचायत औंता में विकास कार्यों में 9,33,922 रुपये का गबन किया गया है। समिति ने अपनी रिपोर्ट में साफ तौर पर गबन की राशि की रिकवरी का आदेश दिया था।


रिकवरी पर उठ रहे सवाल

शिकायतकर्ता अनिल वर्मा का कहना है कि जांच रिपोर्ट आने के बाद भी कार्रवाई नहीं हुई। उल्टा जिम्मेदार लोग ग्राम प्रधान और सचिव को बचाने की कोशिश में लगे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि आदेश के बावजूद रिकवरी नहीं की जा रही और अब मामले को ठंडे बस्ते में डालने के लिए दोबारा जांच का खेल शुरू कर दिया गया है।


अधिकारियों का पक्ष

जिला पंचायत राज अधिकारी राम अयोध्या प्रसाद ने बताया कि “मामले में पंचायत सचिव द्वारा पर्याप्त साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किए गए हैं। इसलिए दोबारा जांच कराई जा रही है। यदि जांच में ग्राम प्रधान, सचिव या किसी अन्य की संलिप्तता साबित होती है तो उनके विरुद्ध कठोर कार्रवाई की जाएगी।


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(रोहित राजवैद्य की रिपोर्ट) Bundelivarta.com

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