टीकमगढ़ न्यूज़ | आज जिला कलेक्टर कार्यालय टीकमगढ़ में मध्यप्रदेश माझी महासभा के नेतृत्व में रैकवार माझी समाज के सैकड़ों लोग एकजुट होकर पहुँचे और जिला प्रशासन को चेतावनी ज्ञापन सौंपा। समाज की प्रमुख माँग थी कि टीकमगढ़ जिले की जिन तालाबों की मत्स्य सहकारी समितियों के चुनाव अब तक लंबित हैं, उन्हें जल्द से जल्द कराया जाए। साथ ही जिन तालाबों पर दबंगों का कब्जा है, उन्हें मुक्त कराकर वैध समितियों को सौंपा जाए।
ज्ञापन में यह भी मांग की गई कि सरकारी मत्स्य पालन योजनाओं में रैकवार माझी समाज को 50% आरक्षण दिया जाए ताकि समाज के पारंपरिक मछुआरे रोजगार और योजनाओं से सीधे जुड़ सकें। वक्ताओं ने कहा कि जिले में सहकारिता और मत्स्य विभाग की लापरवाही के चलते समाज के 80% मछुआरे आज दूसरे राज्यों में मजदूरी करने को विवश हैं।
माझी महासभा के प्रदेश संयोजक आज़ाद अरविंद रैकवार ने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार और प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव मछुआरों के लिए कई योजनाएं चला रहे हैं, लेकिन जिला स्तर पर अधिकारी उन योजनाओं का लाभ समाज तक नहीं पहुँचने दे रहे हैं। यह प्रशासनिक निष्क्रियता मछुआरों के जीवन और आजीविका दोनों को संकट में डाल रही है।
उन्होंने चेतावनी दी कि यदि एक माह के भीतर माँगों पर ठोस कार्यवाही नहीं होती, तो मध्यप्रदेश के सभी जिलों में तहसील स्तर पर आंदोलन किया जाएगा, जिसकी ज़िम्मेदारी प्रशासन की होगी।
इस चेतावनी ज्ञापन में माझी महासभा को विभिन्न सामाजिक संगठनों और जनप्रतिनिधियों का भी समर्थन मिला। समर्थन करने वालों में भीम आर्मी, ओबीसी महासभा, जयस, और अन्य संगठन शामिल रहे।
कार्यक्रम में जिला अध्यक्ष आशीष रैकवार, सरपंच चंद्रेश रैकवार, सरपंच चंदा रैकवार, सरपंच बिक्की रैकवार, पार्षद बाली, पार्षद प्यारेलाल, विधायक प्रतिनिधि हरिराम, एवं सामाजिक कार्यकर्ता अखिलेश, दशरथ, लखन, महेश, मोती, घनश्याम, करन सहित सैकड़ों की संख्या में लोग शामिल हुए।
प्रदर्शन शांतिपूर्ण रहा लेकिन संदेश स्पष्ट था — यदि न्याय नहीं मिला, तो संघर्ष निश्चित है।
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(अनिल श्रीवास की रिपोर्ट) Bundelivarta.com