दतिया जिले में महुअर नदी के किनारे सोमवार को एक मगरमच्छ का शव मिलने से इलाके में सनसनी फैल गई। स्थानीय ग्रामीणों ने इसकी सूचना वन विभाग को दी और आरोप लगाया कि मगरमच्छ की हत्या रेत माफिया द्वारा की गई है। ग्रामीणों का कहना है कि अवैध रेत खनन लगातार जारी है और इसी कारण मगरमच्छ की जान गई।
ग्रामीणों का आरोप – रेत माफिया ने कुचलकर मारा
ग्रामीणों के अनुसार, यह मगरमच्छ पिछले 6 महीनों से महुअर नदी में देखा जा रहा था। मगरमच्छ की लंबाई और वजन को देखते हुए यह स्पष्ट था कि वह पूरी तरह स्वस्थ था। लेकिन सोमवार को उसका शव नदी किनारे मिला, जिससे इलाके में हड़कंप मच गया।
स्थानीय लोगों का आरोप है कि यह हत्या रेत माफिया ने की है, जो भारी मशीनों और ट्रैक्टरों से रात में अवैध रूप से रेत निकालते हैं। ग्रामीणों ने यह भी दावा किया कि मगरमच्छ की हत्या के पीछे वही लोग हैं, जो खनन के दौरान बाधा बनने वाले जीवों को निशाना बनाते हैं।
वन विभाग का दावा – अवैध रेत खनन पूरी तरह बंद
घटना की जानकारी मिलने पर वन विभाग के अधिकारी मौके पर पहुंचे। रेंजर शैलेंद्र सिंह गुर्जर ने बताया कि विभाग ने अवैध रेत खनन रोकने के लिए नदी के किनारे खंती खुदवाई थीं। उनका कहना है कि जहां मगरमच्छ का शव मिला, वहां अवैध रेत खनन के निशान नहीं हैं और विभाग की ओर से खनन पर पूरी तरह रोक लगा दी गई है।
उन्होंने बताया कि मगरमच्छ के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है और रिपोर्ट आने के बाद ही मौत की असली वजह स्पष्ट हो सकेगी। साथ ही, वन विभाग ने यह भी कहा कि कभी-कभी मछली पकड़ने वाले भी मगरमच्छ को नुकसान पहुंचा देते हैं, इसलिए अन्य पहलुओं पर भी जांच की जा रही है।
भास्कर के पास वीडियो सबूत, ट्रैक्टर और जेसीबी के निशान
दैनिक भास्कर के पास एक वीडियो उपलब्ध है, जिसमें साफ दिख रहा है कि मगरमच्छ के शव के पास ट्रैक्टर और जेसीबी के पहियों के निशान मौजूद हैं। यह इस बात का सबूत है कि इलाके में बड़े पैमाने पर रेत उत्खनन हो रहा है।
विशेषज्ञों के अनुसार, अगर इलाके में रेत खनन बंद होता, तो 1-2 दिन में रेत पर बने ट्रैक्टर और जेसीबी के निशान मिट जाते। लेकिन वीडियो में ताजा निशान यह साबित करते हैं कि यहां अभी भी मशीनों का इस्तेमाल किया जा रहा है। इससे अवैध खनन की संभावनाएं और मजबूत हो जाती हैं।
मगरमच्छ की मौत पर उठ रहे कई सवाल
इस घटना ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं:
- अगर अवैध रेत खनन बंद है, तो जेसीबी और ट्रैक्टर के निशान कैसे मिले?
- अगर मगरमच्छ की मौत प्राकृतिक कारणों से हुई, तो उसके शरीर पर चोटों के निशान क्यों हैं?
- क्या वन विभाग अवैध रेत खनन की गतिविधियों पर सही से नजर रख पा रहा है?
रेत माफिया का आतंक, प्रशासन पर सवाल
बुंदेलखंड के कई इलाकों में अवैध रेत खनन एक बड़ी समस्या बन चुका है। प्रशासन और वन विभाग इसे रोकने के दावे तो करते हैं, लेकिन हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है।
इस घटना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि वन्य जीव भी रेत माफिया के लालच का शिकार हो रहे हैं। ग्रामीणों की मांग है कि मामले की गहराई से जांच हो और अगर यह हत्या साबित होती है, तो दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए।
अब देखना यह होगा कि वन विभाग की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में क्या सामने आता है और प्रशासन इस मामले में क्या कदम उठाता है।
(रोहित राजवैद्य की रिपोर्ट) Bundelivarta.com