झांसी में 421 साल पुराने शिलालेख बरामद, अतिक्रमण हटाया

आशुतोष नायक
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झांसी के गरौठा थाना क्षेत्र में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने ऐतिहासिक महत्व के शिलालेखों को अतिक्रमण से मुक्त कराने के लिए बड़ी कार्रवाई की। वर्षों से अतिक्रमणकारियों द्वारा शिलालेखों पर मकान बनाकर कब्जा कर लिया गया था, जिससे यह बहुमूल्य ऐतिहासिक धरोहर गायब हो गई थी। हाल ही में पुरातत्व विभाग की टीम ने जब क्षेत्र का निरीक्षण किया, तो शिलालेख नहीं मिले। गहन जांच के बाद पता चला कि ये शिलालेख अतिक्रमण के कारण मकानों के अंदर दबे हुए हैं। इसके बाद प्रशासन ने कार्रवाई करते हुए बुलडोजर भेजा और शिलालेखों को कब्जामुक्त कराया।


ऐतिहासिक धरोहर पर था 50 साल से कब्जा

झांसी जिले की गरौठा तहसील के नुनार गांव के पास स्थित राय का ताल, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा संरक्षित स्मारक स्थल है। इसी तालाब के किनारे संवत 1604 और 1603 के दो महत्वपूर्ण शिलालेख मौजूद हैं, जिनका उल्लेख ASI के अभिलेखों में भी दर्ज है। हालांकि, बीते पांच दशकों से स्थानीय ग्रामीणों ने इस स्थान पर अतिक्रमण कर मकान बना लिए थे, जिससे शिलालेख पूरी तरह ओझल हो गए थे। जब पुरातत्व विभाग की टीम ने स्थल का दौरा किया, तो पाया कि शिलालेखों को कब्जाधारियों ने अपने मकानों के भीतर समाहित कर लिया है। इसके बाद, प्रशासन ने कार्रवाई कर इन शिलालेखों को पुनः सार्वजनिक किया।

बुलडोजर देखकर भागे अतिक्रमणकारी

संरक्षित स्मारक को कब्जामुक्त कराने के लिए पहुंची पुरातत्व विभाग की टीम का पहले तो अतिक्रमणकारियों से सामना हुआ। उन्होंने दावा किया कि यह भूमि उनकी है, लेकिन कोई वैध दस्तावेज नहीं दिखा सके। जैसे ही बुलडोजर कार्रवाई शुरू हुई, अतिक्रमणकारी मौके से फरार हो गए। बताया जा रहा है कि इस ऐतिहासिक धरोहर पर करीब 50 साल से कब्जा था।

प्रशासन की टीम ने मिलकर की कार्रवाई

सोमवार को अधीक्षण पुरातत्वविद डॉ. इज़हार अली के निर्देशन में पुरातत्व अभियंता मनोज कुमार वर्मा के नेतृत्व में कार्रवाई की गई। टीम के साथ तहसील प्रशासन, पुलिस बल और पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के वरिष्ठ अधिकारी मौके पर पहुंचे। इनमें अभिषेक सिंह, वरिष्ठ संरक्षण सहायक दीवान प्रसाद पराशर, लेखपाल हामिद, अजय राजौरिया, सागर रायकवार, नरबद पटेल, दीपक कुमार, सुकृति, ग्राम चौकीदार बलवीर और उदयराम शामिल थे। बुलडोजर की मदद से कब्जा हटाकर शिलालेखों को मुक्त कराया गया।

इतिहास की सुरक्षा के लिए बड़ा कदम

झांसी की इस ऐतिहासिक संपदा को अतिक्रमण से मुक्त कराना एक महत्वपूर्ण उपलब्धि मानी जा रही है। पुरातत्व विभाग का कहना है कि इन शिलालेखों का संरक्षण कर इन्हें संरक्षित स्मारक के रूप में संरक्षित रखा जाएगा, ताकि भविष्य में ऐतिहासिक धरोहर सुरक्षित रह सके।


(रोहित राजवैद्य की रिपोर्ट) Bundelivarta.com 

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