झूठे केस में छात्र को फंसाने के आरोप में दो सिपाही और दरोगा पर मामला दर्ज

आशुतोष नायक
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झांसी | पांच साल बाद कोर्ट के आदेश पर खुली साजिश, आंतरिक जांच में पुलिसकर्मी दोषी पाए गए

झांसी में न्याय की लड़ाई लड़ रहे एक छात्र को आखिरकार इंसाफ की उम्मीद जगी है। पांच साल पहले पुलिस की वर्दी का रौब दिखाकर उसे झूठे केस में फंसाने वाले दो सिपाहियों और एक दरोगा के खिलाफ आखिरकार मामला दर्ज कर लिया गया है। यह केस पुलिस की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े करता है—क्या वर्दी की आड़ में किसी निर्दोष की जिंदगी बर्बाद करना इतना आसान है?


कैसे रची गई थी साजिश?

घटना झांसी के सदर बाजार थाना क्षेत्र की है। 11 सितंबर 2020 का वह काला दिन, जब एक होनहार छात्र, जो अपने सपनों को साकार करने के लिए प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहा था, अचानक पुलिस की साजिश का शिकार बन गया। बिना किसी ठोस सबूत के उसे गिरफ्तार किया गया और झूठे आरोपों में जेल भेज दिया गया। परिवार ने इंसाफ के लिए दर-दर की ठोकरें खाईं, लेकिन पुलिस प्रशासन ने कोई सुनवाई नहीं की।

सच छिप नहीं सकता!

छात्र और उसके परिवार ने हार नहीं मानी। उन्होंने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और लंबी कानूनी लड़ाई के बाद अदालत ने मामले की फिर से जांच के आदेश दिए। पुलिस विभाग की आंतरिक जांच में चौंकाने वाले खुलासे हुए—दरोगा और दो सिपाही झूठे केस में छात्र को फंसाने के दोषी पाए गए!

अब मचेगा हड़कंप!

इस खुलासे के बाद पुलिस विभाग में खलबली मच गई है। जिन पुलिसकर्मियों का कर्तव्य जनता की रक्षा करना था, वे ही निर्दोषों की जिंदगी तबाह करने पर उतारू थे! वरिष्ठ अधिकारियों ने भी इस मामले में सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया है।

परिवार की पुकार—इंसाफ चाहिए!

छात्र और उसके परिवार का एक ही सवाल है—जो सालों तक हमारे बेटे पर झूठे इल्जाम लगाकर उसकी जिंदगी से खेलते रहे, क्या उन्हें अब सिर्फ निलंबन से सजा मिल जाएगी? क्या कानून उनके लिए भी उतना ही कठोर होगा, जितना यह हमारे लिए था?

अब आगे क्या होगा?

इस मामले में पुलिस विभाग ने विभागीय जांच शुरू कर दी है और जल्द ही तीनों आरोपी निलंबित किए जा सकते हैं। लेकिन क्या यह काफी है? यह देखना बाकी है कि न्याय की यह लड़ाई कितनी दूर तक जाएगी और क्या वर्दी की आड़ में किए गए इस अन्याय का सही मायने में हिसाब होगा?

(रोहित राजवैद्य की रिपोर्ट) Bundelivarta.com 
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