झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में शनिवार शाम एक मरीज ने आत्महत्या कर ली। हमीरपुर जिले के नौरंगा गांव निवासी 66 वर्षीय लाखन सिंह, मेडिसिन विभाग के वार्ड नंबर 7 में भर्ती थे। शाम के समय वह बाथरूम गए और दरवाजे की चौखट पर गमछे का फंदा बनाकर फांसी लगा ली।
कुछ देर बाद एक अन्य मरीज बाथरूम पहुंचा तो लाखन को लटका देखा और शोर मचा दिया, जिससे पूरे अस्पताल में हड़कंप मच गया। सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया।
परिजनों ने लगाया इलाज में लापरवाही का आरोप
लाखन सिंह के भाई मनमोहन सिंह ने आरोप लगाया कि मेडिकल कॉलेज में उनके भाई का सही तरीके से इलाज नहीं किया जा रहा था। लाखन को कई दिनों से सीने में दर्द था, जिसके कारण 24 फरवरी को उन्हें भर्ती कराया गया था। उनका बेटा रामकुमार अस्पताल में उनके साथ था, लेकिन परिजनों का कहना है कि डॉक्टर समय पर इलाज नहीं कर रहे थे और लाखन की हालत बिगड़ती जा रही थी।
मनमोहन सिंह ने बताया कि जब वह अपने भतीजे देवेंद्र के साथ अस्पताल पहुंचे, तब लाखन बाथरूम जाने के बाद अपने बेड पर वापस आ गए। कुछ देर बाद, जब मनमोहन और देवेंद्र फल खरीदने बाहर गए, तो लाखन दोबारा बाथरूम गए और वहीं फांसी लगा ली।
"इलाज सही होता तो भाई आत्महत्या नहीं करता"
मनमोहन सिंह का कहना है कि जब उन्होंने अपने भाई को देखा तो उनका चेहरा सूजा हुआ था और पूरे शरीर में पानी भर गया था। उन्होंने आरोप लगाया कि डॉक्टरों की लापरवाही के कारण लाखन सिंह ने यह कदम उठाया। परिजनों ने यह भी कहा कि वार्ड में सफाई की भी उचित व्यवस्था नहीं थी, और लाखन के सुसाइड के बाद ही सफाई कराई गई।
फिलहाल, पुलिस पूरे मामले की जांच कर रही है और परिजनों के आरोपों की भी पड़ताल की जा रही है।
(रोहित राजवैद्य की रिपोर्ट) Bundelivarta.com