सैलरी नहीं मिली, हंगामा; डिप्टी सीएम से मिलने जा रहे थे, पुलिस ने रोका

आशुतोष नायक
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झांसी, झांसी मेडिकल कॉलेज के आउटसोर्सिंग सफाई कर्मचारी तीन महीने से वेतन न मिलने के कारण हड़ताल पर रहे। शनिवार को जब वे अपनी मांगों को लेकर डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य से मिलने जा रहे थे, तो पुलिस-प्रशासन ने उन्हें रास्ते में ही रोक दिया और समझाइश देकर गार्डन में बैठा दिया। इसके बाद मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने वेतन देने का लिखित आश्वासन दिया, तब जाकर मामला शांत हुआ।


मेडिकल कॉलेज में एक निजी कंपनी के जरिए 400 से ज्यादा सफाई कर्मचारी काम करते हैं। दिसंबर, जनवरी और फरवरी महीने की सैलरी न मिलने के कारण कर्मचारी गुरुवार से ही हड़ताल पर थे। शुक्रवार को भी उनकी मांगों पर कोई सुनवाई नहीं हुई, जिससे शनिवार को वे विरोध प्रदर्शन के लिए फिर इकट्ठा हो गए। सुबह से ही सफाई कर्मचारी मेडिकल कॉलेज के गेट नंबर 1 पर जमा होने लगे। इसी बीच खबर मिली कि डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य झांसी आ रहे हैं। कर्मचारियों ने तय किया कि वे अपनी समस्याएं सीधे डिप्टी सीएम के सामने रखेंगे, ताकि जल्द समाधान हो सके।

कर्मचारी कांग्रेस के पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रदीप जैन आदित्य के नेतृत्व में इलाइट चौराहे पर इकट्ठा हुए। वहां से वे नारेबाजी करते हुए सर्किट हाउस की ओर पैदल ही रवाना हो गए, जहां डिप्टी सीएम ठहरे थे। लेकिन खिलौना सिनेमा के पास पहुंचते ही एडीएम प्रशासन एके सिंह और एसपी सिटी ज्ञानेंद्र कुमार सिंह पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंच गए और प्रदर्शनकारियों को रोक दिया। अधिकारियों ने कर्मचारियों को समझाने की कोशिश की और फिर उन्हें पास के एक गार्डन में ले जाकर बैठा दिया। इसी रास्ते से डिप्टी सीएम का काफिला गुजरने वाला था, इसलिए प्रशासन ने कर्मचारियों को आगे बढ़ने नहीं दिया।


सफाई कर्मचारी डोली ने बताया कि उन्हें महज 8,000 रुपये मासिक वेतन मिलता है, लेकिन वह भी समय पर नहीं दिया जाता। उन्होंने कहा कि पहली बार ऐसा नहीं हो रहा, हर बार हमें वेतन के लिए संघर्ष करना पड़ता है। अधिकारी सिर्फ एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डालते रहते हैं, लेकिन हमारी समस्या का समाधान नहीं होता। सफाई कर्मचारी मीरा ने बताया कि वेतन न मिलने से घर चलाना मुश्किल हो गया है। बच्चों की स्कूल फीस नहीं भरी जा सकी, जिस वजह से उन्हें स्कूल से निकाल दिया गया। वहीं, कर्मचारी ममता ने कहा कि तीन महीने से सैलरी नहीं मिली, ऐसे में खर्च कैसे चले? अब कंपनी कह रही है कि सिर्फ एक महीने की सैलरी देंगे, लेकिन हमें पूरी बकाया सैलरी चाहिए। साथ ही वेतन बढ़ाकर 16,000 रुपये किया जाए।

हंगामे की सूचना मिलने पर मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. मयंक सिंह गार्डन पहुंचे। उन्होंने कर्मचारियों को आश्वासन दिया कि 10 मार्च तक सभी को वेतन दे दिया जाएगा। कंपनी ने भी लिखित में भरोसा दिया, जिसके बाद कर्मचारियों ने हड़ताल खत्म कर दी और काम पर लौट आए।


(रोहित राजवैद्य की रिपोर्ट) Bundelivarta.com 


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