11 हजार वोल्ट का करंट लगा, इलाज महंगा था—मालिक ने हाथ कटवाने को मजबूर किया!
झांसी में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जहां एक मजदूर का जीवन अंधकार में धकेल दिया गया। काम के दौरान 11 हजार वोल्ट के करंट से झुलसे कालीचरण के हाथ बच सकते थे, लेकिन मालिक ने सस्ता इलाज चुना और अपने कर्मचारी के दोनों हाथ कटवा दिए। अब वही मालिक उसे अनदेखा कर रहा है, फोन तक नहीं उठा रहा।
करंट से झुलसा, मालिक ने कहा—"हाथ कटवा लो, मैं संभाल लूंगा"
मध्य प्रदेश के निवाड़ी जिले का कालीचरण झांसी की रामराजा सोलर पावर कंपनी में काम करता था। कंपनी को उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले के फतनपुर थाना क्षेत्र में सोलर प्लांट लगाने का ठेका मिला था, जहां कालीचरण को भेजा गया।
29 अक्टूबर को काम के दौरान वह एक मकान की छत पर था, तभी ऊपर से गुजर रही 11 हजार वोल्ट की बिजली लाइन की चपेट में आ गया। करंट इतना तेज था कि उसके दोनों हाथ बुरी तरह झुलस गए। मालिक उसे इलाज के लिए प्रयागराज (इलाहाबाद) के कैंटोमेंट जनरल हॉस्पिटल ले गया, जहां डॉक्टरों ने कहा कि हाथ ठीक हो सकते हैं, लेकिन इलाज लंबा चलेगा और एक लाख से ज्यादा का खर्च आएगा।
इलाज महंगा था, मालिक ने जबरन कटवा दिए हाथ
कालीचरण बताता है—
"इलाहाबाद के डॉक्टर कह रहे थे कि हाथ ठीक हो सकते हैं, लेकिन जब मालिक ने सुना कि खर्च ज्यादा आएगा, तो उसने झांसी मेडिकल कॉलेज ले जाकर डॉक्टरों से हाथ काटने की बात करवाई। मैंने मना किया, लेकिन मालिक ने मेरी पत्नी को समझाया—'हाथ कटवा लो, चिंता मत करो। मैं मकान बनवाकर दूंगा, बच्चों की पढ़ाई, परिवार की जरूरतें सब पूरी करूंगा। हर महीने सैलरी भी दूंगा।'
मालिक की बातों पर भरोसा कर कालीचरण ने ऑपरेशन के लिए हां कह दिया और 31 अक्टूबर को डॉक्टरों ने उसके दोनों हाथ काट दिए।
अब मालिक फोन भी नहीं उठा रहा, पीड़ित ने कहा—"अब मरने के अलावा कोई रास्ता नहीं"
हाथ कटने के बाद ठेकेदार उसे घर छोड़कर चला गया और कहा कि हर महीने पैसे भेजेगा। लेकिन कुछ समय बाद उसका फोन उठाना भी बंद कर दिया। कोई आर्थिक मदद नहीं मिलने से अब कालीचरण पूरी तरह असहाय हो गया है।
"मेरे पास कमाने का कोई साधन नहीं बचा, दो बच्चे और पत्नी की जिम्मेदारी है। मालिक ने हाथ कटवा दिए, लेकिन अब सुध तक नहीं ले रहा। मेरे पास आत्महत्या के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा," कालीचरण ने रोते हुए कहा।
पुलिस क्या कर रही है?
नवाबाद थाना प्रभारी जितेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि पीड़ित की शिकायत पर पुलिस कंपनी के ऑफिस गई, लेकिन मालिक नहीं मिला। फोन मिलाने की कोशिश की, मगर उसने कॉल तक रिसीव नहीं किया।
अब मामला श्रम आयुक्त कार्यालय भेजा गया है, ताकि कानूनी कार्रवाई हो सके और पीड़ित को न्याय मिल सके।
सवाल उठता है—क्या कानून ऐसे निर्दयी मालिकों को सजा दिला पाएगा?
इस घटना ने मजदूरों की सुरक्षा और उनके अधिकारों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या प्रशासन और कानून इस पीड़ित को इंसाफ दिला पाएंगे, या यह भी सिर्फ एक और मामला बनकर फाइलों में दफन हो जाएगा?
(रोहित राजवैद्य की रिपोर्ट)Bundelivarta.com