बुंदेलखंड की आवाज़, योगी की फटकार में हुई शांत

आशुतोष नायक
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बुंदेलखंड को अलग राज्य बनाने की चर्चा पर विधायकों की खिंचाई

उत्तर प्रदेश विधानसभा में सत्ता पक्ष की लॉबी में बुंदेलखंड के भाजपा विधायकों की एक बैठक हुई, जिसमें बुंदेलखंड को अलग राज्य बनाने की मांग उठाने की योजना बनाई गई। विधायकों का मानना था कि अलग राज्य बनने से ही क्षेत्र का विकास संभव है। हालांकि, उनकी यह चर्चा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक पहुंच गई, जिसके बाद उन्होंने तुरंत सख्त रुख अपनाया।

योगी ने बुलाकर लगाई फटकार, सार्वजनिक मंच पर न बोलने की दी नसीहत

गुरुवार को हुई इस बैठक के अगले ही दिन, शुक्रवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बैठक में शामिल सभी भाजपा विधायकों को अलग-अलग तलब किया। उन्होंने विधायकों से सवाल किया कि ऐसी मांगें सार्वजनिक रूप से क्यों उठाई जा रही हैं? योगी ने साफ निर्देश दिए कि सदन में इस तरह की कोई मांग न उठाई जाए और अगर कोई मुद्दा उठाना है तो पार्टी के उचित मंच पर चर्चा की जाए।

विधायकों में झांसी के रवि शर्मा, जवाहर राजपूत, राकेश गोस्वामी, विनोद चतुर्वेदी, और चरखारी के ब्रजभूषण राजपूत शामिल थे। मुख्यमंत्री के सवालों का कोई भी विधायक स्पष्ट जवाब नहीं दे पाया।

भाजपा विधायक बोले- हम सभी बुंदेलखंड को अलग राज्य बनाने के पक्ष में

हालांकि, दैनिक भास्कर से बातचीत में भाजपा विधायक ब्रजभूषण राजपूत ने कहा कि बुंदेलखंड को अलग राज्य बनाने को लेकर सहमति बनी हुई है और सभी विधायक इसके समर्थन में हैं। यह संकेत देता है कि इस मुद्दे पर पार्टी के भीतर ही मतभेद हो सकते हैं।

पहले भी उठ चुकी है यूपी को बांटने की मांग

उत्तर प्रदेश के विभाजन की मांग कोई नई नहीं है। इससे पहले पश्चिमी उत्तर प्रदेश को अलग राज्य बनाने की मांग कई बार उठ चुकी है। 2023 में पूर्व भाजपा सांसद संजीव बालियान ने कहा था कि पश्चिमी यूपी को अलग राज्य बनाना जरूरी है। मेरठ को इसकी राजधानी बनाने का सुझाव भी दिया गया था।

मायावती पहले ही चार राज्यों में विभाजन का प्रस्ताव ला चुकी हैं

2011 में जब बसपा सुप्रीमो मायावती मुख्यमंत्री थीं, तब उन्होंने उत्तर प्रदेश को चार भागों में बांटने का प्रस्ताव विधानसभा में रखा था। इस प्रस्ताव के अनुसार—

पूर्वांचल (गोरखपुर और 22 अन्य जिले)

अवध प्रदेश (लखनऊ सहित केंद्रीय क्षेत्र)

हरित प्रदेश (मेरठ, गाजियाबाद सहित पश्चिमी यूपी)

बुंदेलखंड (झांसी, बांदा सहित सात जिले)

2024 में मायावती ने फिर से कहा था कि अगर बसपा केंद्र में सत्ता में आती है तो यूपी के विभाजन के लिए ठोस कदम उठाएगी।

सपा और भाजपा ने 'अखंड उत्तर प्रदेश' का समर्थन किया

मायावती के इस प्रस्ताव का समाजवादी पार्टी ने कड़ा विरोध किया और 'अखंड उत्तर प्रदेश' का नारा दिया। भाजपा और कांग्रेस ने भी इस पर सपा का समर्थन किया। इसके बाद यूपी के विभाजन का मुद्दा ठंडे बस्ते में चला गया। हालांकि, आजाद समाज पार्टी के सांसद चंद्रशेखर आजाद ने संसद में इस मुद्दे को उठाकर फिर से बहस छेड़ दी थी।

सीएम योगी के कड़े रुख से विधायकों की मांग ठंडी पड़ी

बुंदेलखंड को अलग राज्य बनाने की मांग करने वाले भाजपा विधायक जब योगी के सामने पहुंचे, तो अपनी बात खुलकर नहीं रख सके। सीएम की फटकार के बाद उन्होंने चुप्पी साध ली और सदन में इस मुद्दे को उठाने से पीछे हट गए। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या यह मांग दोबारा जोर पकड़ती है या फिर पार्टी के अनुशासन के चलते यह मामला यहीं खत्म हो जाता है।


(रोहित राजवैद्य की रिपोर्ट) Bundelivarta.com 



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