झांसी में जीजा-सरहज की प्रेम कहानी का दुखद अंत : एक साथ मौत को गले लगाया

आशुतोष नायक
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झांसी : प्यार और तकरार की एक दुखद कहानी ने झांसी में दो जिंदगियां छीन लीं। जीजा और सरहज के बीच पनपे प्रेम संबंधों का उस समय दुखद अंत हो गया, जब दोनों ने समाज और परिवार की बंदिशों से तंग आकर मौत को गले लगा लिया।

प्यार की डोर, रिश्तों की दीवार
बरुआसागर के मातवानाखोर मोहल्ला निवासी 32 वर्षीय प्यारेलाल कुशवाहा और निवाड़ी के तरीचरकलां गांव की 26 वर्षीय आरती के बीच प्रेम की एक डोर बंधी थी। आरती की शादी 9 महीने पहले प्यारेलाल के साले धनेंद्र कुशवाह से हुई थी। लेकिन, इस रिश्ते ने दो परिवारों के बीच दरार पैदा कर दी।

समाज का बंधन, प्रेम की अग्निपरीक्षा

 दोनों के प्रेम संबंध की जानकारी जब परिवारों को हुई, तो समाज के बंधनों और रिश्तों की मर्यादा ने उनके लिए मुश्किलें खड़ी कर दीं। परिवार वाले इस रिश्ते के खिलाफ थे और उन्होंने दोनों पर अपने-अपने घरों में रहने का दबाव डाला।

प्रेम की खातिर, जीवन का अंत

 समाज और परिवार के इस दबाव ने प्यारेलाल और आरती को तोड़ दिया। उन्हें लगा कि उनके प्यार का कोई भविष्य नहीं है। आखिरकार, उन्होंने एक साथ मरने का फैसला किया।

सात दिन की तलाश, जंगल में मिली लाश

 2 फरवरी को आरती बिना किसी को बताए घर से निकल गई। उसी दिन प्यारेलाल भी लापता हो गए। दोनों परिवारों ने उनकी तलाश की, लेकिन उनका कोई पता नहीं चल पाया। आखिरकार, रविवार को भगवंतपुरा में कचरा घर के पीछे जंगल में दोनों के शव एक पेड़ से लटके हुए पाए गए।

पुलिस की जांच, प्रेम कहानी का खुलासा 

पुलिस ने शवों को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। पुलिस का मानना है कि दोनों ने 2 फरवरी को ही आत्महत्या कर ली थी। इस घटना ने एक बार फिर समाज में व्याप्त प्रेम संबंधों और परिवार के दबाव के मुद्दे को सामने ला दिया है।

प्यार, तकरार और मौत का तांडव 

यह घटना प्यार, तकरार और मौत की एक जटिल कहानी को दर्शाती है। समाज और परिवार के दबाव में आकर दो लोगों ने अपनी जान दे दी। यह घटना हमें सोचने पर मजबूर करती है कि क्या प्रेम की खातिर जीवन का अंत कर लेना सही है?

(रोहित राजवैद्य की रिपोर्ट) Bundelivarta.com 

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