छतरपुर : विकासखंड शिक्षा अधिकारी की लापरवाही हुई उजागर, शिकायतकर्ता को विकासखंड शिक्षा अधिकारी के यहां शिकायत करना पड़ा महंगा

रोहित राजवैद्य
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छतरपुर न्यूज़ | यूं तो छतरपुर जिला शिक्षा विभाग के अधिकारियों की लापरवाही और गैर जिम्मेदाराना रवैया को लेकर वैसे ही प्रदेश में अब्बल स्थान पा चुका है पूर्व में लगभग विकासखंड शिक्षा अधिकारी सहित 20 शिक्षकों पर 420 जैसी कई गंभीर धाराओं में मामला पंजीकृत न्यायालय के आदेश पर  किया गया था। छतरपुर पुलिस प्रशासन के द्वारा दोषियों पर गिरफ्तार न करने और विवेचना में विलंब करने के कारण शिक्षा विभाग के अधिकारियों के हौसले दिन प्रतिदिन बढ़ते जा रहे हैं और आए दिन अपने विभाग की छवि धूमल करने की फिराक में अपने मन माने और नींद में सोते हुए आदेश और निर्देश जारी करते रहते हैं।



जी हां आपको जानकर हैरानी होगी कि अभी पूर्व विकासखंड शिक्षा अधिकारी पर हुई एफआईआर का मामला ठंडा नहीं हुआ और वहीं वर्तमान विकासखंड अधिकारी राजनगर के द्वारा एक और कारनामा कर शिक्षा विभाग के अधिकारियों पर सवालिया निशान खड़े करने का काम किया गया है, आपको बता दें शिकायतकर्ता के द्वारा संबंधित शाला प्रभारी और संकुल प्राचार्य चंद्रनगर राजकुमार रेजा की शिकायत विकासखंड शिक्षा अधिकारी सहित जिला शिक्षा अधिकारी एवं जनसुनवाई छतरपुर को लिखित आवेदन लेकर की गई थी। जिसमें पूर्व सत्र 2023-24,2024-25 मैं अतिथि शिक्षक का नाम पोर्टल से नियुक्ति के बाद बिना किसी कारण के हटाए जाने सहित वेतन का भुगतान न करने की शिकायत की गई थी।


जिस पर विकासखंड शिक्षा अधिकारी राजनगर के द्वारा एक वर्ष 2024- 25 पत्राचार बस किया गया और अपनी जिम्मेदारी से बचती रहीं। और वहीं पूर्व प्राचार्य चंद्रनगर राजकुमार रेजा को खुला संरक्षण बना रहा लेकिन कोई कार्यवाही नहीं की और जब वरिष्ठ कार्यालय के यहां से करवाई संबंधित निर्देश जारी हुए तो संबंधित साला प्रभारी को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया गया और वही अतिथि शिक्षक के द्वारा पूर्व सत्र 2024-25 में कार्य न करने एवं फर्जी नाम दर्ज करने का भी लेख कर उल्टा शिकायत कर्ता पर ही दबाव बनाने का काम किया जा रहा है। जबकि शिकायतकर्ता के द्वारा विकासखंड शिक्षा अधिकारी राजनगर को पूर्व सत्र के लगभग सितंबर माह में अपने नियुक्ति से संबंधित सारे साक्ष्य दिए गए थे। जिसको विकासखंड शिक्षा अधिकारी के द्वारा गंभीरता से नहीं लिया गया और ना ही कोई कार्रवाई की गई उल्टा प्रतिवेदन में शिकायतकर्ता को ही कार्य न करना बताकर मानसिक और आर्थिक रूप से प्रताड़ित करने का काम किया गया।


अब ऐसे में शिकायत कर्ता जाए तो कहां जाए और किससे अपनी समस्या की गुहार लगाए, यहां बैठे जिम्मेदार अधिकारी ही अपनी जिम्मेदारी से बचकर कमजोर और योग्य व्यक्तियों को प्रताड़ित करने का काम करते हैं। जिससे समुचित जिला सहित प्रदेश में शिक्षा विभाग की छवि धूमल हो रही है। ऐसी लापरवाह अधिकारी और कर्मचारियों पर आखिर वरिष्ठ अधिकारी कब कार्यवाही करेंगे, क्या ऐसे ही शिकायत करने वाले व्यक्तियों अतिथियों के साथ अन्याय होता रहेगा या जिला शिक्षा अधिकारी इस मामले को गंभीरता से लेकर दोषी अधिकारी पर कार्यवाही करेंगे और अतिथि शिक्षक को नया मिलेगा।


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(अनिल श्रीवास की रिपोर्ट) Bundelivarta.com


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