निवाड़ी न्यूज़। ओरछा स्थित यथार्थ हॉस्पिटल एक बार फिर विवादों के घेरे में है। पहले तीमारदारों और अस्पताल स्टाफ के बीच मारपीट का वीडियो वायरल हुआ था और अब एक नवजात शिशु के हाथ टूटने का गंभीर आरोप अस्पताल प्रबंधन पर लगा है। पीड़ित परिवार का आरोप है कि डॉक्टरों की लापरवाही के चलते उनकी नवजात बच्ची का हाथ फ्रैक्चर हो गया, जिसका इलाज भी सही ढंग से नहीं किया गया। यही नहीं, इलाज के नाम पर आयुष्मान योजना से 2.75 लाख रुपये का बिल भी बना लिया गया।
22 अप्रैल को हुआ प्रसव, चार दिन तक नवजात को अलग रखा गया
पुछीकरगुआ गांव निवासी रंजना भदौरिया ने 22 अप्रैल को यथार्थ हॉस्पिटल में एक बेटी को जन्म दिया। महिला ने बताया कि शाम करीब 5 बजे डिलीवरी हुई, लेकिन बच्ची को जन्म के बाद चार दिन तक आईसीयू में रखने के बहाने उनसे अलग कर दिया गया। इस दौरान न तो मां को बच्ची से मिलने दिया गया, न ही किसी अन्य परिजन को।
हाथ टूटने की जानकारी बाद में दी गई, इलाज में बरती गई लापरवाही का आरोप
चार दिन बाद जब बच्ची को वापस सौंपा गया तो परिजनों को बताया गया कि नवजात का हाथ टूट गया है। जब परिजनों ने इसका कारण पूछा और आपत्ति जताई, तो अस्पताल ने इलाज की बात कही। लेकिन परिजनों का आरोप है कि इलाज के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की गई और हड्डी को गलत तरीके से जोड़ दिया गया। इसके बावजूद कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिला और मामला धीरे-धीरे दबा दिया गया।
आयुष्मान कार्ड से हुआ लाखों का बिल, परिजनों ने दिखाया सबूत
परिजनों ने दावा किया है कि अस्पताल ने आयुष्मान कार्ड के जरिए 2.75 लाख रुपये का बिल उठाया, जिसमें से 2.15 लाख रुपये की रसीदें उनके पास हैं। परिजन सवाल कर रहे हैं कि जब बच्ची को चार दिन तक ICU में रखा गया, तो इतने बड़े बिल का आधार क्या था?
न्याय की आस में दर-दर भटक रही है पीड़िता
पीड़ित महिला रंजना ने बताया कि उन्होंने मामले की शिकायत पुलिस चौकी से लेकर पुलिस अधीक्षक तक की, लेकिन कहीं सुनवाई नहीं हो रही। “हम अपनी बच्ची को सही इलाज दिलाना चाहते हैं और उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई चाहते हैं जिन्होंने हमारी मासूम बच्ची के साथ ये किया,” उन्होंने कहा।
पुलिस की प्रतिक्रिया — जांच की बात कहकर फाइल टाल दी गई
नाराई पुलिस चौकी प्रभारी अर्पित पाराशर ने बताया कि मामले की जांच के लिए संबंधित विभाग को पत्र भेजा गया है। जांच के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।
अस्पताल का पक्ष — हड्डी की कमजोरी को बताया कारण
अस्पताल प्रबंधन से जुड़े नितिन चौधरी ने बयान जारी कर बताया कि बच्चा एक माह तक अस्पताल में भर्ती रहा और आयुष्मान योजना के तहत इलाज हुआ। उन्होंने दावा किया कि मां के शरीर में BDRL की कमी थी जिससे हड्डियों में कमजोरी आ सकती है।