झांसी न्यूज़ | झांसी में एक अनोखी और विवादित घटना सामने आई है, जहां एक एम्बुलेंस ड्राइवर ने अकेले ही एक लावारिस शव को पीठ पर लादकर करीब 100 मीटर चलकर चिता तक पहुंचाया और अंतिम संस्कार किया। यह घटना उस समय की है जब पुलिसकर्मी अंतिम संस्कार के लिए साथ नहीं गए। इस पूरी प्रक्रिया का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है और प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर रहा है।
मेडिकल कॉलेज में लाश रही सड़ती हुई 18 दिन तक
मिली जानकारी के अनुसार, लगभग 42 वर्षीय एक अज्ञात युवक की मृत्यु मेडिकल कॉलेज में हुई थी। शव को मोर्चरी में लोहे के एक बक्से में रखा गया था, जहां उसे 18 दिनों तक सुरक्षित रखा गया। पुलिस के नियम अनुसार, लावारिस शव को पहचान के लिए केवल 72 घंटे तक ही सुरक्षित रखना होता है, उसके बाद अंतिम संस्कार कराना अनिवार्य होता है। लेकिन इस शव के मामले में लाश को लंबे समय तक रखा गया, जिससे वह पूरी तरह सड़ चुकी थी और तेज बदबू फैल रही थी।
पोस्टमार्टम के बाद पुलिस की गैरमौजूदगी
शव को पोस्टमार्टम के लिए लोहे के बॉक्स से निकाला गया, तब आसपास के लोग तेज दुर्गंध से दूर भाग गए। इसके बाद जब शव को अंतिम संस्कार के लिए ले जाना था, तो पुलिसकर्मी वहां मौजूद नहीं थे। शव की जिम्मेदारी एक एम्बुलेंस ड्राइवर को दी गई। उसने अकेले ही शव को एम्बुलेंस से बाहर निकाला, पीठ पर उठाकर चिता तक ले गया और अंतिम संस्कार किया।
प्रशासन पर उठ रहे हैं गंभीर सवाल
यह घटना प्रशासन की कार्यशैली और लावारिस शवों के रखरखाव में मौजूद कमियों पर गंभीर सवाल उठाती है। वायरल हुए वीडियो में एम्बुलेंस चालक की इस पहल की सराहना भी हो रही है, लेकिन साथ ही यह भी सवाल उठ रहे हैं कि आखिर पुलिस और प्रशासन इस मामले में क्यों निष्क्रिय रहे। शव की इस हालत और पुलिसकर्मियों की अनुपस्थिति से नागरिकों में रोष फैल रहा है।
आगे की कार्रवाई पर प्रशासन की प्रतिक्रिया
झांसी पुलिस ने अभी तक इस मामले में आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है। लेकिन इस वीडियो के वायरल होने के बाद मामले की जांच शुरू होने की संभावना जताई जा रही है। माना जा रहा है कि इस घटना के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएंगे ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।
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(रोहित राजवैद्य की रिपोर्ट) Bundelivarta.com