जालौन न्यूज़। जालौन जनपद के उरई कोतवाली क्षेत्र अंतर्गत रेवा गांव से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जहां महज 5 साल की मासूम बच्ची की जान एक गुब्बारे ने ले ली। शुक्रवार को घटी इस दुखद घटना ने पूरे गांव में मातम पसरा दिया है।
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मृतका कशिश की फाइल फोटो |
बताया जा रहा है कि रेवा गांव निवासी राहुल अपनी पत्नी रन्नो और बेटियों कशिश व नव्या के साथ सोमई गांव किसी पारिवारिक कार्यक्रम से लौट रहे थे। रास्ते में कशिश ने कुरकुरे की जिद की, तो राहुल ने एक दुकान से उसे दो पैकेट दिला दिए। कौन जानता था कि कुरकुरे के साथ आई खुशी कुछ ही पल में मातम में बदल जाएगी।
घर पहुंचते ही हो गई अनहोनी
घर लौटने के बाद कशिश जैसे ही कुरकुरे खाने लगी, वैसे ही उसमें मौजूद एक गुब्बारा उसने गलती से निगल लिया। गुब्बारा गले में अटक गया, जिससे वह घबरा गई और रोते हुए मां को बताया कि सांस नहीं आ रही है। मां-बाप ने घबराकर तुरंत उंगली डालकर गुब्बारा निकालने की कोशिश की, लेकिन वह सफल नहीं हो सके।
कुछ ही देर में बच्ची की हालत बिगड़ गई और वह बेहोश हो गई। परिजन बिना देर किए उसे उरई मेडिकल कॉलेज लेकर भागे, लेकिन वहां भी डॉक्टर उसे नहीं बचा सके। डॉक्टरों ने तत्काल एंडोस्कोपी कर गुब्बारा निकालने की प्रक्रिया शुरू की, लेकिन तब तक कशिश दम तोड़ चुकी थी।
गुब्बारा खेल नहीं, बन गया मौत का कारण
यह घटना एक बड़ी चेतावनी की तरह सामने आई है कि कई बार खाद्य पैकेट्स में दिए जाने वाले छोटे-छोटे खिलौने या आइटम बच्चों के लिए कितने जानलेवा हो सकते हैं। कुरकुरे पैकेट में अक्सर छोटे बच्चों को लुभाने के लिए गुब्बारे या खिलौने दिए जाते हैं, लेकिन इसकी निगरानी न होने पर ऐसा जानलेवा हादसा हो सकता है।
गांव में पसरा मातम, माता-पिता सदमे में
कशिश की मौत के बाद पूरे गांव में शोक की लहर दौड़ गई। पड़ोसी और रिश्तेदारों की आंखें नम हैं। मां रन्नो अपनी बच्ची को गोद में लेकर बार-बार बेसुध हो रही है, वहीं पिता राहुल भी गहरे सदमे में हैं। परिवार के लोग इस बात पर अफसोस जता रहे हैं कि एक छोटी-सी खुशी कैसे इतनी बड़ी सजा बन गई।
सवालों के घेरे में कुरकुरे कंपनियों की जिम्मेदारी
इस घटना ने खाद्य सामग्री कंपनियों और दुकानदारों की जिम्मेदारी पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। आखिर बच्चों के खाने के पैकेट्स में ऐसे आइटम क्यों डाले जाते हैं जो उनके लिए खतरनाक साबित हो सकते हैं? प्रशासन और संबंधित विभागों को इस ओर सख्त कदम उठाने की जरूरत है, ताकि भविष्य में किसी और कशिश की जान यूं न जाए।
(रोहित राजवैद्य की रिपोर्ट) Bundelivarta.com