ललितपुर न्यूज़ | देवगढ़ के जंगलों में प्रशासनिक अफसरों की एक टीम निरीक्षण के दौरान मधुमक्खियों के हमले का शिकार हो गई। गंभीर रूप से घायल मुख्य विकास अधिकारी (CDO) कमलाकांत पांडेय और उनके गनर को ग्रामीणों की मदद से किसी तरह बचाया जा सका। घटना शनिवार 25 मई की है।
पर्यटन और जल जीवन मिशन से जुड़े विकास कार्यों का जायजा लेने पहुंचे अफसर जैसे ही बौद्ध गुफाओं के पास पहुंचे, अचानक एक झुंड ने हमला कर दिया। अफसर और कर्मचारी जान बचाने के लिए बेतहाशा भागे। कुछ लोग जमीन पर लेट गए, कुछ पेड़ों की आड़ में छिपे। लेकिन CDO कमलाकांत पांडेय और ADM (नमामि गंगे) राजेश श्रीवास्तव ज्यादा दूर नहीं भाग सके।
हमले में CDO बेहोश होकर जंगल में गिर पड़े। उनके साथ मौजूद गनर चंद्रपाल सिंह उन्हें बचाने दौड़ा, लेकिन खुद भी झुंड का शिकार हो गया। दोनों जंगल में ही अचेत पड़े रहे।
कुछ देर बाद ADM (राजस्व) अंकुर श्रीवास्तव और ग्रामीणों की टीम कंबलों से खुद को ढंककर घने झाड़ियों में घुसी और अफसरों को खोज निकाला। CDO का चेहरा मिट्टी में धंसा हुआ था, उन्हें चारपाई पर लादकर करीब एक किलोमीटर जंगल पार किया गया। इसके बाद ट्रैक्टर से उन्हें एंबुलेंस तक पहुंचाया गया।
CDO के साथ-साथ नोडल अधिकारी (रेशम) राजेश श्रीवास्तव, BDO बिरधा, जल निगम के अधिशासी अभियंता, और सचिव शैलेंद्र समेत तीन अन्य कर्मचारी भी घायल हुए हैं।
राजेश श्रीवास्तव के चेहरे से डॉक्टरों ने करीब 500 मधुमक्खियों के डंक निकाले हैं। उनके कान से भी चार मधुमक्खियां जिंदा बाहर निकाली गईं। उनका इलाज झांसी मेडिकल कॉलेज में चल रहा है।
हमले की संभावित वजह
वन विभाग के अधिकारियों का मानना है कि अफसरों द्वारा लगाए गए इत्र या परफ्यूम की तेज खुशबू मधुमक्खियों को आकर्षित कर सकती है। वहीं कुछ लोगों का मानना है कि हो सकता है किसी कर्मचारी की लापरवाही से मधुमक्खियों के छत्ते के पास हलचल हुई हो।
बचाव के उपाय — जंगल या पहाड़ी क्षेत्र भ्रमण पर:
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इत्र, परफ्यूम या महकदार क्रीम का प्रयोग न करें।
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हल्के रंग के कपड़े पहनें। मधुमक्खियां गहरे रंगों की ओर अधिक आकर्षित होती हैं।
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छत्ते के पास बिना जरूरत शोर या हलचल न करें।
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आपात स्थिति के लिए कंबल या जैकेट साथ रखें जिससे शरीर ढंका जा सके।
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शांत रहें, हाथ न हिलाएं — मधुमक्खियों को उत्तेजना से गुस्सा आता है।
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पहाड़ी या जंगल क्षेत्र में भ्रमण से पहले वन विभाग से मार्गदर्शन अवश्य लें।
देवगढ़ जैसे ऐतिहासिक और प्राकृतिक स्थलों में अफसरों की सुरक्षा की जिम्मेदारी पूरी योजना के साथ तय होनी चाहिए। प्रशासनिक भ्रमण केवल रिपोर्ट तैयार करने के लिए नहीं, सुरक्षा और संरचना के हिसाब से भी संतुलित हो — यह घटना उसकी गंभीर याद दिलाती है।
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(रोहित राजवैद्य की रिपोर्ट) Bundelivarta.com