टीकमगढ़ न्यूज़ | बुंदेलखंड का हृदय टीकमगढ़ इन दिनों कानून व्यवस्था के गंभीर संकट में फंसा है। अपराधियों के हौसले बुलंद हैं और प्रशासन मौन है। जनता असुरक्षित महसूस कर रही है, जबकि पुलिस-प्रशासन राजनीतिक दबाव और निष्क्रियता के दलदल में फंसे हैं।
कभी बुंदेलखंड का गौरव और हृदय कहे जाने वाला टीकमगढ़ आज अपराध, अव्यवस्था और डर का पर्याय बनता जा रहा है। जिले में अपराधियों के हौसले इस कदर बुलंद हैं कि अब आमजन अपने ही घर में सुरक्षित महसूस नहीं कर रहा।
हर गली, हर चौराहे पर चोरी, लूटपाट, मारपीट और असामाजिक गतिविधियों का बोलबाला है। लेकिन इन सबके बीच पुलिस और प्रशासनिक अमला या तो सो रहा है या राजनीतिक रस्साकशी में उलझा हुआ है। सूत्रों के अनुसार, कई संवेदनशील इलाकों में पुलिसकर्मी शाम होते ही गायब हो जाते हैं या बिना हथियार के गश्त करते दिखते हैं।
अवैध खनन, शराब और मादक पदार्थों की तस्करी, भूमाफियाओं की सक्रियता – ये सब दर्शाते हैं कि जिले में अवैध कारोबारियों को कहीं न कहीं राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है।
स्थिति यह है कि थानों में न तो शिकायतों पर कार्रवाई होती है, न ही एफआईआर दर्ज की जाती है। पीड़ित चुप रहने में ही भलाई समझने लगे हैं। खासकर ग्रामीण और सीमावर्ती इलाकों के थानों में पुलिस की निष्क्रियता अब आम चर्चा बन गई है।
इस गिरती कानून व्यवस्था को लेकर अब यह सवाल उठता है – क्या जिला प्रशासन और राज्य सरकार इस दिशा में कोई ठोस कदम उठाएंगे? या फिर टीकमगढ़ की जनता डर और अन्याय की गिरफ्त में सिसकती रहेगी?
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(अनिल श्रीवास की रिपोर्ट) Bundelivarta.com