जालौन न्यूज़। इंटरमीडिएट में 76 प्रतिशत अंक पाने के बावजूद राम सिंह का हौसला जवाब दे गया। नतीजों से खुद को असफल मान बैठे इस होनहार छात्र ने शुक्रवार को अपनी जीवनलीला खुद ही समाप्त कर ली। घटना से परिवार और मोहल्ले में मातम छा गया।
जानकारी के अनुसार, मूल रूप से कालपी क्षेत्र के शाहजहांपुर गांव निवासी 18 वर्षीय राम सिंह अपने परिवार संग उरई के बघौरा मोहल्ले में किराए के मकान में रह रहा था। उसके पिता अनिरुद्ध सिंह कानपुर में नौकरी करते हैं, जबकि मां लाली देवी गृहिणी हैं। राम सिंह ने यहीं रहकर इंटर की पढ़ाई की थी और हाल ही में आए परिणाम में उसे 76 फीसदी अंक प्राप्त हुए थे। लेकिन आशानुरूप परिणाम न आने के कारण वह पिछले कुछ दिनों से गुमसुम और अवसादग्रस्त रहने लगा था।
अकेलेपन में उठाया खौफनाक कदम
शुक्रवार को राम सिंह घर पर अकेला था। आसपास के लोगों के मुताबिक, दोपहर से ही उसके कमरे का दरवाजा बंद था और कोई हलचल महसूस नहीं हो रही थी। देर शाम जब भीतरी सन्नाटा बरकरार रहा तो पड़ोसियों को शंका हुई। आवाज देने पर जब भीतर से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली, तो दरवाजा तोड़ा गया। भीतर का नजारा देख सभी के होश उड़ गए — राम सिंह फंदे पर झूल रहा था।
माता-पिता पर टूटा दुखों का पहाड़
सूचना मिलते ही मौके पर राम सिंह के माता-पिता पहुंचे। बेटे की मौत की खबर सुनते ही मां लाली देवी बेसुध हो गईं, जबकि पिता अनिरुद्ध सिंह भी बदहवास हो उठे। हर आंख नम थी, हर चेहरा गमगीन।
पुलिस ने शव कब्जे में लेकर जांच शुरू की
मौके पर पहुंची उरई कोतवाली पुलिस ने शव को नीचे उतरवाया और पंचनामा भरते हुए पोस्टमार्टम के लिए भेजा। पुलिस अधिकारियों के अनुसार, शुरुआती जांच में मामला आत्महत्या का लग रहा है। हालांकि परिजनों के बयान दर्ज किए जा रहे हैं और पूरी घटना की हर पहलू से जांच की जा रही है।
क्यों टूट जाते हैं युवा?
राम सिंह की मौत एक बार फिर इस सवाल को जन्म देती है कि आखिर क्यों आज का युवा खुद को नंबरों की दौड़ में इस कदर उलझा बैठता है कि जीवन से हार मान लेता है। विशेषज्ञों का मानना है कि बच्चों पर अपेक्षाओं का अनावश्यक दबाव और मानसिक स्वास्थ्य को नजरअंदाज करना ऐसी घटनाओं की जड़ में है।
(रोहित राजवैद्य की रिपोर्ट) Bundelivarta.com