सागर में पत्रकारों के सम्मान और सुरक्षा को लेकर सागर में बुलाए गए बंद का व्यापक असर देखने को मिला। शहर के व्यापारियों, सामाजिक संगठनों और आम नागरिकों ने इस बंद को समर्थन देते हुए अपने प्रतिष्ठान स्वेच्छा से बंद रखे। पत्रकारों ने प्रशासन के खिलाफ कड़ा विरोध दर्ज कराते हुए प्रतीकात्मक रूप से जिला प्रशासन का "मृत्युभोज" भी आयोजित किया।
कैसे रहा बंद का असर?
आज सुबह पत्रकार समुदाय तीन मढ़िया पर एकत्र हुआ, जहां से विरोध रैली निकाली गई। इस दौरान पत्रकारों ने बाजार में खुली दुकानों से शांतिपूर्वक बंद का आग्रह किया, जिसे व्यापारियों ने समर्थन देते हुए अपनी दुकानें बंद कर दीं। धीरे-धीरे पूरा सागर बंद के समर्थन में आ गया, जिससे सड़कें सुनसान हो गईं और बाजार पूरी तरह बंद रहे।
इसके बाद पत्रकारों ने जिला प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए विरोधस्वरूप प्रशासन का प्रतीकात्मक "मृत्युभोज" आयोजित किया। इस आयोजन के जरिए पत्रकारों ने यह संदेश दिया कि यदि प्रशासन इसी तरह पत्रकारों की सुरक्षा की अनदेखी करता रहा, तो यह लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के लिए घातक साबित होगा।
क्या है पूरा मामला?
मामला पत्रकार मुकुल शुक्ला से जुड़ा है, जिन्होंने आरोप लगाया है कि जिला खनिज अधिकारी अनिल पांड्या ने न केवल उनके साथ अभद्र भाषा का प्रयोग किया, बल्कि उनके साथ दुर्व्यवहार और मारपीट भी की। इस घटना के बाद पत्रकारों में भारी आक्रोश फैल गया और उन्होंने दोषी अधिकारी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग करते हुए सागर बंद का आह्वान किया।
पत्रकारों की प्रमुख मांगें
1. खनिज अधिकारी अनिल पांड्या के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए।
2. पत्रकारों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं।
3. भविष्य में किसी भी पत्रकार के साथ इस तरह की घटना की पुनरावृत्ति न हो।
अब आगे क्या?
सागर बंद की सफलता के बाद पत्रकारों ने जिला प्रशासन को स्पष्ट चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगों को गंभीरता से नहीं लिया गया और दोषी अधिकारी के खिलाफ उचित कार्रवाई नहीं की गई, तो आंदोलन और अधिक तेज किया जाएगा। पत्रकारों का कहना है कि यदि जरूरत पड़ी, तो वे प्रदेश स्तर पर भी इस आंदोलन को आगे बढ़ाने से पीछे नहीं हटेंगे।
(रोहित राजवैद्य की रिपोर्ट) Bundelivarta.com