महोबा में किसानों का हंगामा: नहरों में पानी न होने से गेहूं की फसल पर संकट, सिंचाई विभाग पर लापरवाही के आरोप

आशुतोष नायक
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महोबा जिले के कबरई विकासखंड के दर्जनभर गांवों में किसानों को गेहूं की फसल के लिए पानी नहीं मिल पा रहा है। नहरों में पानी न छोड़े जाने से हजारों बीघा फसल सूखने के कगार पर पहुंच गई है। इस गंभीर समस्या को लेकर किसानों ने सिंचाई विभाग कार्यालय पर प्रदर्शन किया और अधिकारियों पर लापरवाही का आरोप लगाया।


नहरों में नहीं आ रहा पानी, फसल पर मंडराया संकट

किसानों के अनुसार, गेहूं की फसल के लिए अब तक दो बार सिंचाई हो चुकी है, लेकिन तीसरी बार पानी नहीं मिलने से फसल बर्बाद होने की आशंका है। चंद्रावल बांध से निकलने वाली पिंडारी माइनर, सुरहा और कमलखेड़ा नहरों में विभाग ने पानी छोड़ना बंद कर दिया है, जिससे गहरा, बघारी, पिडारी, खिरवा, सुरहा, ऐचाना, कनेरी, सलुआ, कमलखेड़ा, बबेड़ी और ग्योडी गांवों के किसान प्रभावित हो रहे हैं।

विभाग के वादे हवा, रोस्टर भी नहीं माना गया

सिंचाई विभाग ने पहले रोस्टर जारी किया था, जिसमें तय था कि कब-कब पानी छोड़ा जाएगा, लेकिन किसानों का कहना है कि अधिकारी इस रोस्टर का पालन नहीं कर रहे। गांव गहरा के प्रधान रामकिशन कुशवाहा, किसान वीर सिंह, विजय कुमार और महेंद्रपाल समेत अन्य किसानों ने नाराजगी जताते हुए कहा कि अगर विभाग पहले ही सूचित कर देता कि पानी नहीं मिलेगा, तो वे कोई दूसरी कम पानी वाली फसल ले सकते थे।

अधिकारियों की बेरुखी और बहानेबाजी

किसानों ने आरोप लगाया कि अधिकारियों से संपर्क करना मुश्किल हो गया है। न तो वे फोन उठाते हैं और न ही कार्यालय में संतोषजनक जवाब देते हैं। जब किसानों ने सिंचाई के लिए पानी की मांग की तो विभाग की ओर से कहा गया कि अधिक धूप पड़ने के कारण बांध का पानी उड़ गया, जो किसानों को गुमराह करने वाला तर्क लगा।

लहचूरा परियोजना से पानी देने की मांग

किसानों ने इस संकट से निपटने के लिए अर्जुन सहायक बांध से पानी छोड़े जाने की मांग की है ताकि सूख रही गेहूं की फसल को बचाया जा सके। किसानों का कहना है कि अगर जल्द पानी नहीं मिला तो उन्हें भारी आर्थिक नुकसान झेलना पड़ेगा।

अब किसानों के सब्र का बांध टूटने लगा

सिंचाई संकट को लेकर किसानों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है। प्रदर्शन के दौरान उन्होंने साफ कहा कि अगर जल्द समाधान नहीं निकला तो वे आंदोलन तेज करेंगे। अब देखना यह होगा कि सिंचाई विभाग अपनी लापरवाही सुधारता है या किसानों को इस संकट से जूझना पड़ता है।



(रोहित राजवैद्य की रिपोर्ट) Bundelivarta.com 


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