ललितपुर न्यूज़ | जेल है या कोई रिसॉर्ट? यह सवाल तब उठा जब शनिवार को जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव मयंक जायसवाल अचानक ललितपुर जिला कारागार का निरीक्षण करने पहुंचे।
जैसे ही वह बैरक संख्या 5A में दाखिल हुए, वहां का नजारा देखकर उनके चेहरे पर हैरानी और चिंता दोनों एक साथ दिखी।
इस बैरक में कोई आम कैदी नहीं, बल्कि बलरामपुर के एक पूर्व सांसद रिजवान जहीर कैद हैं, जो 2022 से हत्या की साजिश के मामले में निरुद्ध हैं। लेकिन जेल में बंदी जैसा उनका रहन-सहन कहीं से भी आम कैदी जैसा नहीं था।
बैरक में मुलायम डनलप का गद्दा बिछा था, सिर के नीचे ब्रांडेड तकिया, और हवा के लिए बैटरी से चलने वाला पंखा रखा गया था। खाना भी ऐसा कि मानो पांच सितारा होटल का टिफिन हो — देसी घी, मिठाइयां, टिफिन बॉक्स में विशेष भोजन और चेहरे की चमक के लिए फेस क्रीम, शैम्पू और तेल तक उपलब्ध थे।
जैसे ही निरीक्षण दल ने तकिए को उठाया, वहां से 30 हजार रुपए नकद बरामद हुए। यह रकम वहां क्यों रखी गई थी, किसकी थी — इसका जवाब किसी के पास नहीं था।
और ये सब तब, जब उसी बैरक में चार अन्य कैदी भी रह रहे थे — लेकिन उनके हालात बिल्कुल विपरीत थे। वे ज़मीन पर बैठकर एक पन्नी में रोटी और स्टील की कटोरी में दाल खा रहे थे। बैरक की दीवारों पर गुटखे की पीक थी, और बाहर गुटखा-तंबाकू के खाली पाउच बिखरे हुए थे।
निरीक्षण के दौरान एक और बंद बैरक को स्टोर या कैंटीन बताया गया, लेकिन जब उसे खोलने का आदेश दिया गया, तो वह एक ‘सीक्रेट किचन’ निकला — जहां पर कुछ “चुने हुए बंदियों” के लिए अलग से भोजन बन रहा था। यह खुलासा जेल व्यवस्था की पारदर्शिता और समानता पर बड़ा सवाल है।
जब सचिव ने जेल अधीक्षक मुकेश कुमार से पूछताछ की, तो वे किसी सवाल का स्पष्ट उत्तर नहीं दे सके। निरीक्षण के दौरान उपकारापाल जयनारायण भारती, जेल डॉक्टर डॉ. विजय द्विवेदी और न्यायालय से पहुंचे अफसर रोहित राठौर, विशाल और नदीम खां भी मौजूद थे।
हालांकि अन्य बंदियों ने जेल स्टाफ के व्यवहार को अच्छा बताया और निशुल्क अधिवक्ता सेवा की जानकारी दी गई, लेकिन VIP बंदियों को दिए जा रहे विशेषाधिकारों ने पूरे सिस्टम की कार्यप्रणाली को कठघरे में ला खड़ा किया है।
अब देखना यह है कि यह बैरक ‘विशेष व्यवस्था’ का प्रतीक बनी रहेगी या किसी कार्रवाई का केंद्र।
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(रोहित राजवैद्य की रिपोर्ट) Bundelivarta.com