झांसी न्यूज़। बुंदेलखंड विश्वविद्यालय में चल रहे राष्ट्रीय पुस्तक मेले के तीसरे दिन एक खास शाम मशहूर गीतकार समीर अंजान के नाम रही। 5500 से ज्यादा गीतों के रचनाकार समीर ने अपनी जिंदगी के अनछुए पहलुओं को साझा किया और संगीत जगत के सफर पर रोशनी डाली।
बनारस से मुंबई तक का सफर
समीर अंजान ने बताया कि उनका लेखन उनके पिता अंजान से प्रेरित रहा। बनारस की गलियों से निकलकर मायानगरी मुंबई तक के संघर्ष और सफलता की कहानी उन्होंने बड़े भावनात्मक अंदाज में बयां की।
बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग की तारीफ
उन्होंने कहा कि देश के कई विश्वविद्यालयों का दौरा करने के बाद भी बुंदेलखंड विश्वविद्यालय का हिंदी विभाग उन्हें सबसे समृद्ध लगा। यहां की साहित्यिक संस्कृति और वीथिका उन्हें बेहद खास लगी। इस दौरान उनकी पुस्तक समीरः लफ्जों के साथ एक सफरनामा का विमोचन भी किया गया।
हर पीढ़ी के संगीतकारों के साथ किया काम
समीर ने बताया कि उन्होंने हर दौर के संगीत निर्देशकों के साथ काम किया है। युवा पीढ़ी में भी जबरदस्त उत्साह और सृजनात्मकता है, जो उन्हें बेहद प्रेरित करता है।
इन फिल्मों में गूंजे हैं समीर के गीत
समीर अंजान ने दिल, आशिकी, दीवाना, हम हैं राही प्यार के, बेटा, साजन, सड़क, जुर्म, बोल राधा बोल, आंखें, शोला और शबनम, कुली नंबर 1, हीरो नंबर 1, बीवी नंबर 1, दिल है कि मानता नहीं, राजा हिन्दुस्तानी, फिजा, धड़कन, कुछ कुछ होता है, कभी खुशी कभी गम, देवदास, तेरे नाम, धूम, सांवरिया, कृष, हाउसफुल 2 और दबंग-2 जैसी सुपरहिट फिल्मों के लिए गीत लिखे हैं।
naac a++ से बढ़ा विश्वविद्यालय का मान
इस मौके पर कुलपति प्रो. मुकेश पांडेय ने कहा कि विश्वविद्यालय को naac a++ मिलने के बाद उसकी ख्याति पूरे देश में बढ़ी है। अब यहां नामी हस्तियां खुशी-खुशी आ रही हैं। इस अवसर पर कुलसचिव विनय कुमार सिंह और परीक्षा नियंत्रक राजबहादुर भी मौजूद रहे।
(रोहित राजवैद्य की रिपोर्ट) Bundelivarta.com