झांसी में वकीलों ने अपनी मांगों को लेकर जोरदार प्रदर्शन किया। अधिवक्ताओं ने जिलाधिकारी कार्यालय के बाहर नारेबाजी की और सरकार पर अनदेखी का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि सरकार उन पर अनावश्यक दबाव बना रही है, जिसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
शुक्रवार को वकीलों ने काली पट्टी बांधकर न्यायिक कार्य किए और अपना विरोध दर्ज कराया। इसके साथ ही, जिलाधिकारी के माध्यम से प्रदेश सरकार को ज्ञापन भेजा गया। संघ के सचिव ने चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो 25 फरवरी को रजिस्ट्री कार्यालय में एक भी रजिस्ट्री नहीं होने दी जाएगी।
कलेक्ट्रेट में वकीलों का शक्ति प्रदर्शन
झांसी जिला अधिवक्ता संघ के बैनर तले शुक्रवार को झांसी न्यायालय के अधिवक्ताओं ने कलेक्ट्रेट में जोरदार प्रदर्शन किया। इस विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व संघ के जिला सचिव केपी श्रीवास्तव ने किया। सैकड़ों वकील जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचे और अपनी मांगों को लेकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी की।
इसके बाद अधिवक्ताओं ने मुख्यमंत्री को संबोधित तीन सूत्रीय ज्ञापन जिलाधिकारी को सौंपा। ज्ञापन सौंपने से पहले अधिवक्ताओं ने काली पट्टी बांधकर कार्य किया, ताकि वे शांतिपूर्ण तरीके से अपना विरोध दर्ज कर सकें।
ये हैं वकीलों की मुख्य मांगें
बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश के निर्देश पर हो रहे इस विरोध प्रदर्शन में वकीलों ने तीन प्रमुख मांगें रखी हैं:
- अधिवक्ताओं की मृत्यु पर मिलने वाले अनुदान को 5 लाख रुपये से बढ़ाकर 10 लाख रुपये किया जाए।
- एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट लागू किया जाए, जिससे वकीलों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
- गलत मुकदमे लड़ने पर अधिवक्ताओं पर लगाए जाने वाले जुर्माने को समाप्त किया जाए।
वकीलों का कहना है कि यदि सरकार इन मांगों पर ध्यान नहीं देती है, तो आगे आंदोलन को और तेज किया जाएगा।
25 फरवरी को बड़ा प्रदर्शन, नहीं होने देंगे कोई रजिस्ट्री
संघ के सचिव एडवोकेट केपी श्रीवास्तव ने सभी वकीलों से आह्वान किया कि 25 फरवरी को रजिस्ट्री कार्यालय में इकट्ठा होकर सरकार के खिलाफ बड़ा प्रदर्शन किया जाएगा। उन्होंने स्पष्ट कहा कि उस दिन कोई भी रजिस्ट्री नहीं होने दी जाएगी।
वकीलों का मानना है कि जब सरकार को राजस्व की हानि होगी, तभी वह उनकी मांगों पर ध्यान देगी और समाधान निकालेगी। इसी को ध्यान में रखते हुए, उन्होंने आंदोलन को और तेज करने का फैसला किया है।
इस विरोध प्रदर्शन से कानूनी प्रक्रिया पर असर पड़ सकता है और प्रशासन के लिए भी यह एक बड़ी चुनौती बन सकता है। फिलहाल, वकीलों ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगें जल्द पूरी नहीं की गईं, तो वे भविष्य में और उग्र आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे।
(रोहित राजवैद्य की रिपोर्ट) Bundelivarta.com