जालौन जिले में प्रशासन ने अवैध अतिक्रमण के खिलाफ बड़ा अभियान चलाते हुए 18 दुकानों और कई अस्थायी मकानों को ध्वस्त कर दिया। यह कार्रवाई कालपी तहसील के उपजिलाधिकारी सुशील कुमार सिंह के नेतृत्व में लोक निर्माण विभाग (PWD) और पुलिस प्रशासन की संयुक्त टीम द्वारा की गई। राष्ट्रीय राजमार्ग-27 पर जोल्हूपुर-मदारीपुर मार्ग के किनारे बने अवैध निर्माणों को हटाने के लिए प्रशासन ने पहले से नोटिस जारी किया था, लेकिन जब अतिक्रमणकारियों ने इसे अनदेखा किया, तो प्रशासन को कड़ा कदम उठाना पड़ा।
कार्रवाई से पहले दी गई थी चेतावनी, लेकिन नहीं हटे अतिक्रमणकारी
तहसील प्रशासन ने अवैध कब्जा हटाने के लिए लोगों को पहले ही सूचित कर दिया था। नोटिस में स्पष्ट रूप से कहा गया था कि वे स्वेच्छा से अपने निर्माण हटा लें, अन्यथा प्रशासन खुद कार्रवाई करेगा। लेकिन अतिक्रमणकारियों ने इसे गंभीरता से नहीं लिया, जिसके चलते प्रशासन को मजबूरन सख्त कदम उठाना पड़ा।
गुरुवार सुबह प्रशासनिक टीम ने बुलडोजर के साथ मौके पर पहुंचकर अतिक्रमण हटाने का कार्य शुरू किया। इस दौरान कुछ लोगों ने विरोध करने की कोशिश की, लेकिन मौके पर भारी पुलिस बल की तैनाती के कारण किसी भी तरह की अप्रिय स्थिति नहीं बनी। प्रशासन ने सभी अवैध निर्माणों को पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया और इलाके को साफ करवाया।
सड़क जाम और यातायात बाधित होने की मिल रही थी शिकायतें
यह अभियान सड़क के सुचारू संचालन को सुनिश्चित करने के लिए चलाया गया था। प्रशासन को लगातार शिकायतें मिल रही थीं कि राष्ट्रीय राजमार्ग और जोल्हूपुर-मदारीपुर मार्ग पर अवैध निर्माणों के कारण यातायात बाधित हो रहा है। सड़कों पर कब्जा करके दुकानें और मकान बना लिए गए थे, जिससे राहगीरों और वाहन चालकों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था।
प्रशासन ने दी कड़ी चेतावनी
तहसील प्रशासन ने साफ कर दिया है कि भविष्य में अगर कोई दोबारा अतिक्रमण करने की कोशिश करता है, तो उसके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी। इस अभियान से लोगों में प्रशासन की सख्ती को लेकर संदेश भी गया है कि अब किसी भी अवैध निर्माण को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
स्थानीय लोगों की मिली-जुली प्रतिक्रिया
इस कार्रवाई पर स्थानीय लोगों की मिली-जुली प्रतिक्रिया देखने को मिली। कुछ लोगों ने प्रशासन की इस पहल का स्वागत किया और कहा कि यह यातायात व्यवस्था को सुधारने के लिए जरूरी था। वहीं, जिन लोगों के निर्माण हटाए गए, उन्होंने इसे अनुचित बताते हुए अपनी मजबूरी जाहिर की। उनका कहना था कि वे सालों से यहां रह रहे थे और अब अचानक उन्हें हटाया गया, जिससे उनकी रोजी-रोटी पर संकट आ गया है।
(रोहित राजवैद्य की रिपोर्ट) Bundelivarta.com