झांसी : कर्ज से घिरा जवान बना गैंग का सरगना, कारोबारी को किया किडनैप

रोहित राजवैद्य
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झांसी न्यूज़। झांसी के एक प्रॉपर्टी कारोबारी के अपहरण की साजिश सेना के एक जवान ने अपने चार साथियों के साथ मिलकर रची थी। वजह थी—25 लाख रुपए का कर्ज। छुट्टी पर आए जवान ने कारोबारी का किडनैप कर चिरगांव के जंगल में एक मंदिर के पास बंधक बना लिया। कारोबारी के फोन से उसके भाई को कॉल कर डेढ़ करोड़ की फिरौती मांगी गई। लेकिन कारोबारी किसी तरह उनके चंगुल से भाग निकला और पूरी साजिश का खुलासा हो गया।



घटना रक्सा थाना क्षेत्र की है। झांसी के एसपी सिटी ज्ञानेंद्र कुमार ने बताया कि अपहृत कारोबारी माधव मोहन (29) हाईवे किनारे एक बड़ी इलेक्ट्रॉनिक्स दुकान चलाते हैं। वह 14 अप्रैल की रात करीब 8 बजे दुकान बंद कर घर लौट रहे थे। तभी उन्हें बीच रास्ते ट्रैक्टर-ट्रॉली से रोककर अगवा कर लिया गया।


हथियारों से लैस गैंग, ट्रॉली से ले गए जंगल


अपहरण में शामिल पांचों आरोपी पहले से तैयार थे। सेना में तैनात घनेंद्र प्रताप सिंह इस गैंग का मास्टरमाइंड है। उसने बताया कि बहन की शादी में लिए कर्ज की वजह से वह तनाव में था। उसने अपने दोस्त मनेंद्र से इस बारे में बात की। मनेंद्र ने सुझाव दिया कि करोड़पति कारोबारी को अगवा कर फिरौती ली जाए। प्लान तैयार हुआ और बाकी तीन साथी भी शामिल कर लिए गए।


एक हफ्ते तक कारोबारी की रेकी की गई। सूरज नामक आरोपी कारोबारी की दुकान के पास मैदान में क्रिकेट खेलता था और उसकी गतिविधियों पर नजर रखता था। 14 अप्रैल की रात प्लान को अंजाम दिया गया। कारोबारी की बाइक को ट्रैक्टर-ट्रॉली से रोका गया, मुंह दबाकर उसे जबरन ट्रॉली में डाला गया और ऊपर तिरपाल डाल दिया गया।


हनुमान मंदिर में रखा बंधक, फिरौती की कॉल


कारोबारी को मोंठ होते हुए चिरगांव के जंगल में ले जाया गया। वहां एक हनुमान मंदिर के पास उसे बांधकर रखा गया। रात करीब 11 बजे अपहरणकर्ताओं ने कारोबारी के मोबाइल से उसके छोटे भाई भरत को कॉल कर डेढ़ करोड़ की फिरौती मांगी। कहा गया कि समय और जगह बाद में बताई जाएगी।


कारोबारी की बहादुरी से टूटी साजिश की चेन


रात करीब 1 बजे कारोबारी ने हिम्मत जुटाकर खुद को बांध से आजाद किया और भागने लगा। अपहरणकर्ताओं ने उसका पीछा किया लेकिन गांववालों को देखकर झांसा दिया कि वह उनका मानसिक रोगी भाई है। इसके बाद कारोबारी को फिर से बांध दिया गया। सुबह तड़के जब सब सो रहे थे, तब कारोबारी भाग निकला और 15 अप्रैल को सुबह 10 बजे घर पहुंच गया।


स्वॉट टीम की तेजी से गिरफ्त में आए आरोपी


मामले की गंभीरता को देखते हुए एसएसपी सुधा सिंह ने स्वॉट और अन्य टीमों को लगाया। फिरौती की कॉल के बाद माधव के नंबर को सर्विलांस पर डाला गया। मोंठ में आखिरी लोकेशन मिलने के बाद टीमें पहुंची, लेकिन मोबाइल बंद हो गया। आसपास के मोबाइल नेटवर्क्स को ट्रैक कर पुलिस ने पहले मास्टरमाइंड घनेंद्र को पकड़ा, जिसने सब कुछ कबूल कर लिया।


उसके बताए अनुसार पुलिस ने बाकी चार आरोपियों—मनेंद्र सिंह परमार, सुमित, शशिकांत पाल और सूरज अहिरवार को भी दबोच लिया। इनके पास से ट्रैक्टर-ट्रॉली और हथियार बरामद किए गए।


पुलिस की सतर्कता से खुला हाई-प्रोफाइल किडनैपिंग केस

पुलिस की त्वरित कार्रवाई और कारोबारी की बहादुरी से एक बड़ा अपराध टल गया। इस केस ने यह भी दिखा दिया कि आर्थिक दबाव में कोई भी कितना बड़ा अपराध कर सकता है।


(रोहित राजवैद्य की रिपोर्ट) Bundelivarta.com 


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